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13 अगस्त विश्व अंगदान दिवसः कुछ लोग अपनी ज़िंदगी में जितना इतिहास रचते हैं, अपनी मौत के बाद भी उतना ही इतिहास रचते हैं

अंगदान करके आप अपनी जिंदगी के हीरो खुद बनिए-कंचन शर्मा, जयपुर

मृत्यु के बाद भी, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं,आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं, आप किसी के दिल में फिर से धड़क सकते हैं,अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं।जी हां एक शख़्स अंगदान कर 8 लोगों की ज़िंदगी बचा सकता है।

किसी व्यक्ति के जीवन में अंगदान के महत्व को समझने के साथ ही अंगदान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है।

अंगदान की इस प्रक्रिया में अंग का दान दिल, लीवर, किडनी, आंत, पैनक्रियास, फेफड़े, ब्रैन डेड की स्थिति में ही संभव होता है। वहीं आंख, हार्ट वॉल्व, त्वचा, हड्डियां, स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में दान कर सकते हैं।

जयपुर की कंचन शर्मा का कहना है कि कौन कहता है कि इंसान अमर नहीं हो सकता। जरूर हो सकता है। इसके लिए अमृत पीने की जरूरत नहीं है। बस अंगदान जैसा पूण्य कार्य करना पड़ेगा। दरअसल, डीएनए के रूप में उसका अस्तित्व उसके गुजर जाने के बाद भी मौजूद होगा। उस अंग में मौजूद डीएनए एक जेनरेशन से दूसरे जेनरेशन में चलता जाएगा।

भारत की बात करें तो यहां अंग दान करने का प्रतिशत दुनिया में सबसे कम है. भारत में अंगों की मांग और आपूर्ति में बहुत अंतर है। स्वास्थ्य मंत्रालय अंगदान को लेकर विस्तृत प्रचार अभियान पर काम कर रहा है।

कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है। दान के मामले में उम्र की कोई सीमा नहीं होती। एक दिन के बच्चे से लेकर 90 बरस के बुजुर्ग भी अंगदान कर सकते हैं।अंगदान में उम्र मायने नहीं रखती बशर्ते आप चिकित्सा शर्तों को पूरा करते हों। अंगदान करने से पहले कई चीजों की मैचिंग कराई जाती है। मसलन, किडनी के मामले में एचएलए, लिवर और हार्ट के मामले में ब्ल्ड ग्रुप की मैचिंग कराई जाती है।

कंचन शर्मा का कहना है की जब कोई शख्स इस धरती पर नहीं रहता तो वह यादों और अच्छी बातों के जरिए लोगों के बीच जिंदा रहता है, लेकिन ऑर्गन डोनेशन यानी अंगदान की बदौलत तो वह लोगों के अंगों के अंदर जिंदा रहता है। दिल, आंखें, लंग्स, किडनी, पेनक्रियाज, लिवर और स्किन जैसे अंग किसी की मौत के बाद भी किसी और के शरीर में जीवित रहते हैं।

जिंदा रहते हुए इंसान दो में से अपने एक किडनी का दान कर सकता है। लिवर में से एक छोटा-सा हिस्सा भी दान किया जा सकता है। दरअसल, एक किडनी के साथ इंसान सामान्य जिंदगी जी सकता है। ऐसे में हेल्दी इंसान अपना एक किडनी दान कर सकता है।

कंचन शर्मा बताती हैं हालांकि कोविड-19 के प्रकोप से नये देहदान का क्रम भी बाधित हुआ है। हॉस्पिटल में जब डॉक्टर इस बात को पूरी तरह से जांच-परख लेते हैं कि मरीज ब्रेन डेथ की स्थिति में है तब वह इस बात की जानकारी उसके घरवालों को देते हैं। अब यह घरवालों पर निर्भर करता है वह अंगदान करने की सहमति देते हैं कि नहीं। दरअसल, घरवालों के लिए बड़ी ही अजीब स्थिति होती है कि शख्स का दिल धड़क रहा है, सांसें चल रही हैं तो फिर उसे मृत कैसे मान लिया जाए। डॉक्टरों का कहना है कि ऐेसे में घरवालों को समझना चाहिए कि जिस इंसान का ब्रेन डेड हो चुका है वह सिर्फ लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है। अगर वह सिस्टम हटा लिया जाए तो शख्स की धड़कनें रुक जाएंगी।
बहुत सारे सर्वेक्षण और अध्ययन में यह सामने आया है कि अंगदान को लेकर आज भी जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में भय और मिथक हैं। एक सर्वे के मुताबिक ३० प्रतिशत लोग अंगदान करना चाहते हैं लेकिन उनमें भ्रम की स्थिति है अंधविश्वास की स्थिति है और कुछ लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है.

हमारे चारों वेद, सभी शास्त्र, बाइबल, कुरान यही कहते है कि अंगदान महादान है। हमारे पुराण बताते हैं, दधीचि ने अपना शरीर इसलिए त्याग दिया था ताकि उनकी हड्डियों से धनुष बनाया जा सके जिससे दैत्यों का संहार हो सके।

कंचन शर्मा का कहना है कि अंगदान का सिर्फ संकल्प लेने से काम नही बनेगा। क्योंकि आंकड़े बताते है कि जितने लोग अंगदान का संकल्प लेते है उनमेंसे वास्तव में बहुत ही कम लोगों के अंग काम आ पाते है। क्योंकि उन्होंने इसकी जानकारी अपने परिवार को नहीं दी थी।

इसलिए अगर आप अंगदान या देहदान का शपथ पत्र भरते हैं, तो अपनी इस इच्छा के बारे में अपने करीबियों को अपने परिवार को अवगत जरूर कराएं।

कंचन शर्मा बताती हैं कि ऐसा नहीं है कि लोग अंगदान के महत्व व आवश्यकता को नहीं समझते हैं, हम में से बहुत से लोग मरणोपरांत अंगदान करना चाहते हैं, किन्तु कैसे करें, कहाँ करें, ये जानकारी न होने के अभाव में वे चाहकर भी अपने अंग जरूरतमंदों को देने का पुण्य लाभ नहीं कमा पाते हैं।

अंगदान के लिए दो तरीके हो सकते हैं। कई एनजीओ और अस्पतालों में अंगदान से जुड़ा काम होता है। इनमें से कहीं भी जाकर आप फॉर्म भरकर दे सकते हैं कि आप मरने के बाद अपने कौन-से अंग दान करना चाहते हैं। संस्था की ओर से आपको एक डोनर कार्ड मिल जाएगा। फॉर्म बिना भरे भी आप अंगदान कर सकते हैं। आपके निकट संबंधी आपकी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं, अगर आप उन्हें अपनी इच्छा बता दें।

उनका कहना है कि स्कूलों और कॉलेजों की पढ़ाई में भी इन बातों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि लोगों के मन में इससे जुड़ी हुई हर तरह की भ्रांति दूर हो।

विश्व अंगदान दिवस को मनाने का उद्देश्य सामान्य मनुष्य को मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
अंगदान के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करना है तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी अंगदान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करना है।

कंचन शर्मा विगत कई वर्षों से अंगदान, देहदान की मुहिम से जुड़ी हुई है। फरवरी में अपनी माताजी के देहांत के बाद उनका नेत्रदान किया गया था।

उनका कहना है कि मृत्यु के पश्चात शरीर को या तो अग्निदान या जमीनदान कर देते है परन्तु अग्निदान या जमीनदान से पहले अगर हम उस मृतक के उपयोगी अंग उसकी इच्छा अनुसार किसी जीवित को दान करके उसके जीवन अंधकार दूर कर दे तो वह मृतक व्यक्ति आपकी आंखों से दुनिया को देख सकता है, आपका दिल उसके हृदय में धड़क सकता है। हम कह सकते कि वह व्यक्ति हमेशा के लिए हमारे बीच इस दुनिया मे जीवित रहेगा।

हम सभी को अंगदान का शपथ पत्र अवश्य भरना चाहिए साथ ही अपने परिवार को उससे अवगत भी कराना जरूरी है ।
आप जो अंगदान करते हैं वह किसी और को जिन्दगी में एक और जीने का मौका देता है। इसलिये हर व्यक्ति को अंगदान का संकल्प लेना चाहिए, तभी विश्व अंगदान दिवस मनाने की सार्थकता एवं उपयोगिता है।

कुछ लोग अपनी ज़िंदगी में जितना इतिहास रचते हैं, अपनी मौत के बाद भी उतना ही इतिहास रचते हैं।
आप अपनी जिंदगी के हीरो खुद बनिए. अंगदान महादान“ की इस मुहिम में आप सब हमारे साथ जुड़िए और दूसरों को भी प्रेरित करिए।

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