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ऐसा क्या हुआ था 6 जून को जिसके कारण पुलिस को आखिरकार चलाना पड़ी गोली

5 जून को प्रदेश व्यापी बंद को लेकर किसान आंदोलन ने मंदसौर जिले की पुलिस को कर दिया था परेशान

स्पेशल रिपोर्ट

मंदसौर संदेश/मंदसौर

वैसे तो किसान आंदोलन 1 जून से 10 जून तक का घोषित था । इस किसान आंदोलन में किसानों की समस्याओ को लेकर कई प्रकार के मुद्दे थे । पहला मुद्दा दूध के दाम बढ़ाना । दूसरा मुद्दा किसानों की उपज का उचित मूल्य नहीं मिलना । यह भी कटु सत्य था कि मध्यप्रदेश के मंदसौर, नीमच, रतलाम जिले में किसानों की प्रमुख फसल है अफीम, उसके बाद सोयाबीन, उसके बाद मैथी, उसके बाद रायड़ा, गेहूं और चना । इन फसलों का किसानों को सही दाम नहीं मिल रहा था और अचानक इन फसलों की कीमत इतनी घट गई थी कि किसान परेशान हो गया ।

इन सारी परिस्थितियों को लेकर 1 जून से 10 जून तक के किसान आंदोलन की घोषणा हुई थी । सबसे बड़ी बाली बात तो यह थी कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को इस बात की कतई जानकारी नहीं थी कि किसान आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है ? और इस किसान आंदोलन की आगामी रणनीति क्या है इसकी जानकारी न पुलिस प्रशासन के पास थी, न जिला प्रशासन के पास थी, यहां तक कि सांसद से लगाकर विधायक सब बोरी में भरा गये थे… किसी को इसकी जानकारी नहीं थी कि अंदर ही अंदर क्या जहर घुल रहा है । सब ऐसी मस्ती में मस्त थे कि किसान आंदोलन इतना उग्र रूप धारण कर लेगा और गोलीकांड भी हो जाएंगे, किसान भी मर जाएंगे एवं मृतक परिवारों और किसानों की लाश पर इस जिले की दोनों प्रमुख पार्टियां भाजपा तथा कांग्रेस राजनीति करेगी…!

5 जून को किसानों का प्रदेश व्यापी बंद का आव्हान था । इस बंद को लेकर 4 जून को प्रदर्शन करने का प्रयास किया ताकि 5 जून को जो बंद का आव्हान था वह सफल हो सके ऐसी स्थिति में पिपलियामंडी साईड से 4 जून की शाम को करीब 400-500 मोटरसायकिलों पर लोग आये और जैसे ही उन्होंने मंदसौर में प्रवेश किया तो सबसे पहले रामटेकरी कॉर्नर पर एक फ्रूट वाले का ठेला उंदा किया और उसके बाद से उपद्रव चालू हुआ, यह उपद्रव फिर पूरे शहर में फैल गया । जो भी दुकान खुली है उन दुकानों पर जाकर दुकानें बंद करवाना, पत्थर फेंकना, फल-फ्रूट के ठेले, सब्जीयों के ठेले ओंधे कर देना, फल-फ्रूट लूटना यह सब कृत्य किया गया । शाम का समय था मुस्लिम समाज के रोजे चल रहे थे और रोजा इफ्तारी का समय था, फल-फ्रूट की दुकानों पर फल-फ्रूट खरीदने वालों की भीड़ थी परन्तु उपद्रवीयों न आव देखा न ताव और पूरे शहर में गदर मचा दी । इस गदर का टारगेट मंडीगेट, नयापुरा, जनकुपूरा, गणपति चौक आदि बनाये गये । यहां तक कि उपद्रवीयों ने एक समुदाय के घरों पर पत्थर भी फेंके, फल-फ्रूट वालों के साथ मारपीट भी की याने कि पूर्ण रूप से साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का प्रयास किया । पर्याप्त पुलिस बल पागलों की तरह इनके पीछे दौड़ता रहा और 4 जून को जो उपद्रवीयों का सपना था उसको साकार करने में उपद्रवी कामयाब नहीं हो पाये…!

अचानक गणपति चौक में सूचना मिली कि जग्गाखेड़ी दूध प्लांट पर 40 हजार लीटर दूध का स्टॉक पड़ा है । क्योंकि 1 जून से ही नगर में दूध का संकट आने लगा, लोगों को दूध नहीं मिलने लगा ऐसी स्थिति में लोग दूध के लिए भटकते रहे और दूध जैसी उपयोगी चीज के लिए लोग तरसते रहे । तो वहीं सांची पाईंट में 40 हजार लीटर दूध पड़ा रहा । उपद्रवीयों ने तुरंत पुलिस को चकमा देकर जग्गाखेड़ी सांची संयंत्र पर पहुंच गये परन्तु पुलिस तुरंत सांची दुग्ध संयंत्र पहुंची और उपद्रवीयों को खदेड़ा और दुग्ध संयंत्र पर किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होने दिया । 4 जून को यह सारी घटनाओं का वायरल हुआ और वीडियो वायरल होने के कारण पूरे जिले का व्यापारी वर्ग भयभीत हो गया ।
क्या हुआ था 5 जून को

5 जून को प्रदेश व्यापी बंद में सबसे पहले सीतामऊ में घटना घटित हुई । सीतामऊ में कुछ लोग एकत्रित हुए और एक ही समुदाय के लोगों की दुकानें बंद कराना चालू की, इसमें पत्थरबाजी हुई । दोनों गुट आमने-सामने हुए। पुलिस ने काफी प्रयास किया नहीं तो यहां साम्प्रदायिक दंगे भी हो सकते थे ।

पुलिस सीतामऊ की घटना को लेकर सक्रिय थी तो वहीं सूचना मिली कि दलौदा में किसानों द्वारा एक रैली निकाली जा रही है और अपनी मांगों का एक ज्ञापन देंगे । दलौदा में रैली निकली पुलिस ने ज्ञापन की कार्यवाही कर किसानों को समझाया और किसान चले गए । दोपहर में फिर विचित्र घटना घटती है कि दलौदा में चक्काजाम चालू हो गया है । जब दलौदा में प्रशासन और पुलिस दोनों पहुंची और चक्काजाम को हटाने के लिए किसानों से काफी आग्रह किया परन्तु दलौदा के चक्काजाम आंदोलन में दो गुट शामिल थे ऐसी स्थिति में पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन को यह आश्वासन दिया गया कि वह शाम तक चक्कजाम हटा लेंगे क्योंकि शाम को किसानों को अपने गाय, डोर, बैल आदि बांधने एवं अन्य प्रकार की समस्याएं रहती है और चले जाएंगे । वहीं प्रशासन के समझाने पर चक्काजाम में किसानों ने यह आश्वासन दिया कि वह छोटी गाड़ियां एवं यात्री बस को जाने देंगे और ट्रकों को रोकेंगे । तो वहीं दूसरा गुट इस आश्वासन पर संतुष्ट नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की मांग स्वीकार नहीं है चक्काजाम बना रहेगा…!

इधर, 5 जून को पिपलियामंडी में जब किसानों को सूचना मिली कि कुछ दुकानें खुली है तो वह दुकानें बंद कराने के लिए पहुंचे । जब दुकानें धड़ाधड़ बंद हो रही थी कि अनिल घी वाले की दुकान का पूरा शटर खुला हुआ था और वो वहां मौजूद था । इसके साथ ही वहां पर अन्य व्यापारी भी मौजूद थे । किसानों और घी वाले के तथा अन्य व्यापारियों के बीच में वाद-विवाद हो गया । वाद-विवाद बढ़ते मारपीट में चालू हो गया और मारपीट में यह हुआ कि कैसे किसी किसान के लगी यह प्रमाणित करना मुश्किल था क्योंकि अच्छी खासी भीड़ थी परन्तु किसी किसान के सिर में भयंकर चोंट लगी और उसका वीडियो वायरल हो गया । जैसे ही वीडियो किसानों ने देखा तो उस वीडियो को लेकर किसान ज्यादा उग्र हो गये और फिर मची धमाल । धमाल में आगजनी, मारपीट, पत्थरबाजी आदि को अंजाम दिया गया ।

पुलिस अधीक्षक श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी मौके पर पहुंचे और उन्होंने आंदोलनकारियों को खदेड़ने के निर्देश दिए साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि किसानों का कोई ज्यादा नुकसान न हो । ऐसी स्थिति में वहां पर टीयर गैस चलाई गई, हल्का-फुल्का लाठीचार्ज भी किया गया और परिस्थिति को नियंत्रित किया गया । परिस्थिति फिर वापस बदलती है और दलौदा में चक्काजाम करने वाले आंदोलनकारियों ने रेलवे पटरी को उखाड़ने का प्रयास किया । तब सूचना मिली कि रेलवे पटरी अगर उखड़ जाती है तो रतलाम की ओर से आने वाली गाड़ियां पलटी खा जायेगी और बहुत बड़ा हादसा हो जाएगा ।  पुलिस पिपलियामंडी की स्थिति संभाल ही रही थी कि इस सूचना को लेकर जिले में जो किसान आंदोलन के नाम उग्रवाद, हिंसावाद जो चलाई जा रही थी इसकी वीडियो वायरल हो रहे थे । तब ऐसी स्थिति में मोबाईल इंटरनेट सेवा को रात्रि 12.40 बजे प्रतिबंधित किया । पुलिस बल पागलों की तरह दलौदा करीब 1.30 बजे पहुंचा । दलौदा में पहुंचे भारी पुलिस बल ने उपद्रवीयों को खदेड़ते हुए लाठीचार्ज भी किया एवं टीयर गैस भी छोड़ी और उपद्रवीयों को पूर्ण रूप से वहां से खदेड़ा और चक्काजाम खुलवाकर रोके गये सारे ट्रकों को रवानगी दिलवाई। यह सर्वविदित है कि उस दिन दलौदा में दस किलोमीटर तक का चक्काजाम था । हजारों गाड़ियां इस चक्काजाम में फंसीहुई थी ।

इधर, पिपलियामंडी में रात्रि को चारों तरफ से आगजनी की घटनाएं प्रारंभ हो गई । एक जगह आग लगती फायर बिग्रेड उसे बुझाती तो दूसरी जगह आग लगना प्रारंभ हो जाती । स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पिपलियामंडी, नारायणगढ़, मल्हारगढ़ क्षेत्र में सर्वप्रथम धारा 144 लगाई गई और उसके बाद कर्फ्यू घोषित कर दिया गया ।

क्या हुआ था 6 जून को

6 जून को पुलिस को फिर सूचना मिली कि मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वापस किसान आंदोलन को लेकर कुछ किसान बही फंटे पर एकत्रित हो रहे है । इसमें बूढ़ा, बालागुड़ा, नारायणगढ़, पिपलिया मंडी, मल्हारगढ़, कनघट्टी आदि क्षेत्र के किसान शामिल है । तब पुलिस अधीक्षक श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी ने बही फंटे पर पुलिस बल को तैनात करने के निर्देश दिए । इसमें युवा आईपीएस श्रीसांई कृष्ण थोटा एवं नाहरगढ़ के टीआई गिरीश जेजुलकर को पुलिस बल के साथ रवाना किया गया । जैसे ही सांईकृष्ण थोटा और गिरीश जेजुलकर पुलिस बल सहित बही फंटे पर पहुंचे कि इन्हें चारों तरफ से उपद्रवीयों ने घेर लिया और इनके साथ मारपीट करना चालू कर दी । पुलिस के साथ सीआरपीएफ के जवान भी थे, सीआरपीएफ के जवानों ने जब देखा कि भीड़ इतनी उग्र हो गई है और इनकी उपस्थिति दो-ढाई हजार से अधिक की थी । सीआरपीएफ के जवानों को मारने का तरीका भी बड़ा अनोखा था, उपद्रवी सीआरपीएफ के जवानों को बोरों में लपेट-लपेटकर कर मार रहे थे जिसको देखते हुए सीआरपीएफ के जवानों ने अपने साथियों को बचाने के लिए गोली चला दी….! अब सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि जब गोली चला दी, स्थिति यह रही कि युवा आईपीएस सांईकृष्ण थोटा एवं गिरीश जेजुलकर ने इसकी सूचना अपने किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को नहीं दी ।

साथ ही 6 जून को सुवासरा, सीतामऊ में भी उत्पात मचा हुआ था वहां भी पथराव, आगजनी मारकूट आदि की घटना चल रही थी । पुलिस प्रशासन पागल हो गया था कि आखिर में यह हो क्या रहा है ? सीतामऊ, सुवासरा को ठंडा करें तो दलौदा आग उगल रहा था ? दलौदा को ठंडा करने गये तो बही फंटे ने आग उगल दी और उपद्रवी और ज्यादा हिंसक हो गये तथा चक्काजाम में खड़े बड़े-बड़े कंटेनरों, ट्रकों में आग लगाना शुरू कर दी तथा पुलिस को भी मारने की नियत से चारों तरफ घेर लिया जिसको देखते हुए फिर पुलिस की ओर से गोली चली । गोली कांड की घटना को सांईकृष्ण थोटा और गिरीश जेजुलकर ने छिपाया और जिसके कारण मध्यप्रदेश के पुलिस अधिकारियों से लगाकर गृहमंत्री तक को झूठ बोलना पड़ा कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई ।

वहीं मंदसौर जिला मुख्यालय पर मीडिया के बीच गोली चलने की खबर आई । एक-दूसरा, एक-दूसरे से इसको कंफर्म करने में लग गया । इतने में जिला चिकित्सालय में एक व्यक्ति अपने मोटरसायकिल पर एक घायल को बिठाकर लाया जिसको गोली लगी थी, उसके आते ही यह कंफर्म हो गया कि पिपलियामंडी में गोली चलाई गई है । घायल व्यक्ति ने अस्पताल में पहुंचते से ही प्राण त्याग दिया । इस दौरान पांच मिनिट के अंदर एक ओर व्यक्ति को लाया गया इसको भी गोली लगी थी, डॉक्टरों ने इसको चैक किया तो यह भी मर गया था । देखते ही देखते अस्पताल में सैकड़ों लोगों का जमावड़ा हो गया स्थिति को भांपते हुए एसटीएफ के योगेन्द्रसिंह सिसौदिया ने हल्का लाठीचार्ज कर भीड़ को अस्पताल के बाहर खदेड़ा । इस नजारे को देख मंदसौर नगर के लोग समझ गये थे कि बहुत बड़ी अनहोनी हो चुकी है जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ेगा । और थोड़ी देर में ही पुलिस के वायरलैस पर मैसेज चले कि नगर की जनता को उनके घरो ंमें भेजना शुरू करें, मंदसौर में कर्फ्यू लग गया है । साथ ही जिले में मोबाईल इंटरनेट सेवा बंद होने के बाद शाम 3.30 बजे ब्राडबैंड सेवा भी बंद कर दी गई ।

वहीं बही फंटे से लगाकर पिपलियामंडी हाईवे तथा क्षेत्र जलता रहा । इस दौरान करीब दो सौ करोड़ से अधिक का नुकसान उपद्रवीयों ने किया । कई नई-नई गाड़ियों से लदे कंटेनर आग के हवाले कर दिए गए, कंटेनरों पर ले जाई जा रही पोकलेन मशीनों को जला दिया गया, ट्रकों को आग के हवाले कर दिया गया । वहीं पिपलियामंडी के अनिल घी की दुकान का सारा घी लूटकर उसकी दुकान में आग लगा दी गई जो पूरी जलकर खाक हो गई, वहीं सिलेक्शन हाऊस की दुकान, जैन केटर्स वाले का घर, खाताखेड़ी रोड़ स्थित फायबर फैक्ट्री, गायत्री इंडस्ट्रीज को आगे के हवाले कर दिया गया साथ ही गायत्री स्टोन पर भी जमकर तोड़फोड़ की गई यहां तक कि पूरी अंग्रेजी शराब की दुकान जहां पर 1500 पेटी शराब का स्टॉक था उसे लूट लिया गया ।

याने कि 6 तारीख में जब तीन थानों में कर्फ्यू लग गया था तो उपद्रवियों ने इस कर्फ्यू का उल्लंघन भी किया एवं पुलिस एवं सीआरपीएफ के जवानों के साथ उन्हें घेरकर मारपीट भी की । पुलिस 4 जून से ही पागलों की तरह किसान आंदोलन के नाम से उग्रवाद करने वालों की स्थिति को लेकर घूमती फिर रही थी और अचानक 6 तारीख को यह गोली कांड हुआ, गोली कांड आग की तरह इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से पूरे देश में फैला । गोलीकांड के पूर्व के फुटेज पूरे देश में दिखाए गए कि मंदसौर जिला कैसे सुलग रहा है । सिर्फ आगजनी एवं दो सौ करोड़ से अधिक नुकसान की घटना, लोगों के घर के घर एवं दुकानें जला दी गई इन तमाम स्थितियों को नहीं दिखाते हुए बस यही बात को दिखाया गया कि चक्काजाम कर रहे किसानों को गोली से भून दिया गया…!

क्या हुआ था 7 जून को

7 जून को मृतक किसानों के पोस्टमार्टम होकर उनके परिजनों को शव सौंपे गए । ऐसी स्थिति में फिर किसानों ने बरखेड़ापंथ में शवों को हाईवे पर रखकर चक्काजाम प्रारंभ किया । चक्काजाम खुलवाने एवं किसानों को समझाईश देने के लिए कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और एसपी ओमप्रकाश त्रिपाठी दोनोंबरखेड़ा पंथ पहुंचे । किसानों से बातचीत करने के लिए कलेक्टर-एसपी दोनों अलग-अलग गए थे । एसपी श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी सीधे शव के पास पहुंचे और किसान जब गरम हुए तो उन्होंने स्थिति को समझते हुए तुरंत यह कहा कि मृतात्मा की शांति के लिए दो मिनिट का मौन रखना आवश्यक है और वहां दो मिनिट का मौन रखा गया । पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश त्रिपाठी किसानों के बीच रूमाल निकालकर बैठ गये और उनसे चर्चा करने लगे । ऐसी स्थिति में कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह अपने सुरक्षा गार्ड, गाड़ी आदि को दूर खड़े कर किसानों के बीच पहुंचे और चर्चा करते ही रहे कि भीड़ में से आवाज आई कि पुलिस को गोली चलाने के आदेश कलेक्टर ने ही दिए और फिर क्या था किसान कलेक्टर पर टूट पड़े और धक्का-दुम्मी के साथ कलेक्टर को मारना चालू कर दिया । यहां तक कि कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह के कपड़े तक फाड़ दिए गए और उन्हें पटवारियों ने पकड़कर भीड़ में से सुरक्षित निकाला, निकालने के बाद भी कलेक्टर के सिर पर जमकर दो मुक्के पीछे से जड़ दिये । कलेक्टर को सिर पर मुक्के मारने वाला वीडियो मीडिया के कैमरों में कैद हुआ तथा वह वीडियो न्यूज चैनलों पर भेजा गया उसके बाद कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह को मार खाते हुए पूरे देश ने देखा…! कलेक्टर ने वहां एसपी की गाड़ी में बैठकर पतली गली से निकल गये । पुलिस कप्तान श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी किसानों के बीच जमे रहे और चर्चा करते रहे । वह जाते तो किससे जाते क्योंकि उनकी गाड़ी तो कलेक्टर ले गया था, जब धीरे-धीरे वरिष्ठ अधिकारी जाने लगे तो एसपी भी वहां से निकल गये । थोड़ी देर बाद हालात बिगड़े और किसानों ने वहां खड़ी मीडिया को भी घेरना शुरू किया जिसके कारण मीडिया भी अपनी-अपनी ओबी वाहनों एवं गाड़ियों से भाग खड़ी हुई ।

क्या हुआ था 8 जून को

6 जून को हुए गोलीकांड एवं मंदसौर जिले की भयावह स्थिति को देखते हुए ताबड़तौब प्रशासनिक एवं पुलिस व्यवस्था में राज्य शासन ने फेरबदल किया । 8 जून की सुबह से ही इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनलों पर ब्रेकिंग चल गई थी कि मंदसौर के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक ओपी त्रिपाठी को हटाया गया । तथा उनके स्थान पर शिवपुरी के कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव को मंदसौर कलेक्टर एवं मनोज कुमार सिंह को मंदसौर एसपी बनाया गया । कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव 8 जून की सुबह 5 बजे ही मंदसौर के लिए रवाना हो गये थे तथा प्रातः 11 बजे वह मंदसौर पहुंच गये तथा स्थिति को संभाला । वहीं नीमच के एसपी मनोज कुमार सिंह राहुल गांधी की गिरफ्तारी को लेकर नयागांव पर जमे हुए थे तथा दूसरे दिन 9 जून को एसपी मनोज कुमार सिंह ने भी मंदसौर आकर पदभार ग्रहण कर लिया। फिर धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे और मंदसौर जिला पूरी तरह से शांत होने पर फिर कर्फ्यू हटा दिया गया ।

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