
मंदसौर । जमीनों के खेल में अभी मंदसौर सुर्खियों से बाहर भी नहीं निकला है कि भू-माफिया ने अचानक एक नया करिश्मा मंदसौर में पैदा कर दिया ।
नाहर सैय्यद तालाब की शासकीय भूमि सर्वे नंबर 2 रकबा 7.787 हेक्टर (साढ़े 37 बीघा) यह भूमि राजस्व रिकॉर्ड में शासकीय है । संवत् 1995 के खसरा रिकॉर्ड में सर्वे नंबर 2 रकबा 7.787 हेक्टर (साढ़े 37 बीघा) शासकीय है । इस जमीन को सोहनलाल वल्द गंगा सहाय कौम जाट साकी नंबर मंदसौर गैर मारूसी मुद्दत 6 साल बरूये पट्टा पाही याने कि उक्त शासकीय भूमि को सोहनलाल जाट को 6 साल के लिए अस्थायी पट्टे पर आवंटित की गई थी । उसके बाद इस भूमि पर मालिकाना हक कैसे चढ़ा यह सब तो बात का विषय है परन्तु यह भूमि किटियानी की है और किटियानी में कोई बंदोबस्त नहीं हुआ ऐसी स्थिति में उक्त शासकीय भूमि मालिकाना हक की कैसे हो गई यह जिला प्रशासन एवं शासन तथा राजस्व विभाग के लिए बहुत बड़ा जांच का विषय है ।
मंदसौर में ऐसे कई विवादित भूमियाँ है जो पूर्ण रूप से शासकीय है । जो तीन-तीन सौ, चार-चार सौ वर्षों से शासकीय चली आ रही है वह भूमियां 73-74 के रिकॉर्ड में शासकीय कटकर मालिकाना हक में बदल गई । यहां तक कि मंदसौर जिले में कई शासकीय भूमियां जीनिंग फैक्ट्री के लिए 90 साल की लीज पर दी गई थी, 90 साल भी पूरे हो चुके है, जिनिंग फैक्ट्रीयां बंद हो गई है ! जीनिंग फैक्ट्रीयां खंडर भी हो गई है ! परन्तु उक्त शासकीय भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में ऐन-केन-प्रकरेण मालिकाना हक देकर कहीं कॉलोनियां कट गई है ! तो कहीं भूमियाँ बिक गई है ! तो कहीं कई प्रकार के खेल हो गए है !
खेल खेलने में मंदसौर जिला मुख्यालय पर आठ-दस भू-माफियाओं ने बड़ा तांडव नृत्य मचा रखा है और जिसमें भू-माफिया ने तो आज तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए शासकीय भूमियों पर कब्जा करना ! गरीबों की भूमियों को उधार देकर शराब पिला-पिलाकर उनकी भूमियों की रजिस्ट्री करवाने में एक कीर्तिमान हासिल किया है !
कल गुरूवार को अचानक मार्केट में हवा चली कि नाहर सैय्यद तालाब की ग्राम किटियानी के नाम से दर्ज सर्वे नंबर 02 रकबा 7.787 हेक्टर (साढ़े 37 बीघा) भूमि जो पूर्ण रूप से शासकीय है, सरकार के केलेण्डर में भी तैलिया तालाब एवं नाहर सैय्यद तालाब दोनों तालाब पूर्ण रूप से शासकीय है । उक्त शासकीय भूमि के बदले में गुराड़िया देदा भूमि सर्वे नंबर 635 रकबा 10.280 हेक्टर, दौलतपुरा भूमि सर्वे नंबर 241 रकबा 4.450 हेक्टर, भूनियाखेड़ी सर्वे नंबर 331 रकबा 0.590 हेक्टर, 332 रकबा 0.280 हेक्टर, 336 रकबा 0.670 हेक्टर, 340 रकबा 0.730 हेक्टर कुल 17 हेक्टर (85 बीघा) जमीन विनिमय में चाही गई है और आवेदन लगाया गया। आवेदन तो पूर्ण रूप से सील मोहर के नाम से सुनील पिता सूरजमल मेहता निवासी होटल ऋतुवन स्टेशन रोड़ मंदसौर के नाम से लगाया गया । जब यह करीब 600-700 करोड़ रूपये की जमीन का मामला सरकारी दफ्तरों में चिट्ठियां पहुंचने के बाद हवा की तरह बाजार में फैला ।
इस जमीन पर न्यायालय तहसील मंदसौर ने एक विज्ञप्ति जारी की थी और यह विज्ञप्ति दैनिक कीर्तिमान के पेज नंबर 2 पर दिनांक 21.3.2017 को प्रकाशित हुई एवं आपिŸा दिनांक 23.3.2017 को तहसीलदार के न्यायालय में शाम 5 बजे तक दर्ज कराने का समय था । हवा की तरह बाजार में अफवाह फैली और भू-माफिया ने भूमियां हड़पने के नाम पर बहुत लोगों को मित्र बना रखा है। आपिŸा लगाने वाले मित्रों का तांता लग गया एवं तहसीलदार न्यायालय के समय समाप्त होने के पांच बजे पूर्व 59 आपिŸायां अलग-अलग तरीके से लोगों ने दर्ज की । इसमें मीडिया के लोगों ने भी आपिŸायां दर्ज कराई है ।
मंदसौर संदेश कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह से यह पूछना चाहता है कि संवत् 95 के खसरे में जब उक्त भूमि शासकीय है एवं उक्त भूमि को मात्र 6 साल के लिए अस्थायी पट्टे पर सोहनलाल जाट को दी थी तो उसके बाद उक्त शासकीय भूमि पर अन्य लोग भूमि स्वामी कैसे हो गए ?
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि विगत वर्षों में इसी प्रकार तैलिया तालाब में भी एक खेल हुआ था और तैलिया तालाब की फाईल भी इसी प्रकार जमीन विनिमय के लिए कुछ भू-माफियाओं ने कलाकारी से जिला प्रशासन की सिफारिश से भोपाल भिजवाई गई थी । परन्तु कई शिकायतें एवं मीडिया की जागरूकता के कारण वह फाईल भोपाल में निरस्त हो गई थी ।
अब इस अनुपयोगी शासकीय भूमि (नाहर सैय्यद तालाब की) इसके बदले में क्या 85 बीघा जमीन जिसकी कीमत आज 600 से 700 करोड़ है आंख मीचकर जिला प्रशासन एवं राज्य शासन विनिमय कर देगा…?