
मंदसौर । नगर पालिका में हाल ही में एक शिकायत आई कि एक कांग्रेस पार्षद ने अपनी भतीजी के नाम से तीन कमरे नपा (शासकीय) की जमीन पर बना डाले इसे लेकर जब शिकायत प्राप्त हुई और मौके पर जब नगर पालिका परिषद के जिम्मेदार अधिकारी पहुंचे तो वहां दाँतो तले ऊंगली दबा गए ।
बताया जाता है कि इस क्षेत्र में कोई मेहमूद नाम का व्यक्ति है जो कभी विधायक के नाक का बाल होने का दावा करता है ! तो वहीं कभी भाजपा के प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर का नाक का बाल होने का दावा करता है !
बताया जाता है कि जब वार्ड नं.39 में अशोक कर्नावट भाजपा की नगर पालिका में पार्षद पति थे तब कर्नावट ने कुछ लोगों को वार्ड नंबर 39 में 10-10 हजार रूपये की रिश्वत खाकर सरकारी जमीनों के प्लाट दिलाए थे । इसी कड़ी में मेहमूद को भी करीब 400 स्क्वायर फीट का प्लाट पट्टे में अशोक कर्नावट ने दिलाया था और ऐसी स्थिति में मेहमूद ने करीब तीन हजार वर्ग फीट पर कब्जा करके एक आलीशान होटल एवं एक लहसन का गौदाम तैयार किया था । उसके बाद उस इलाके में मेहमूद ने धीरे-धीरे दो आमने-सामने चाल तैयार की और चाल तैयार कर वहां पर मकान बनाना चालू कर दिए और मकान बनाकर बेचना प्रारंभ कर दिए । कोई मकान दो लाख में..! तो कोई ढाई लाख में..! तो कोई तीन लाख में..! जैसा सौदागार मिला वैसा मकान का सौदा किया ।
इसके बीच करीब 3 हजार स्क्वायर फीट पर कब्जा करने के बाद जैसे ही प्रहलाद बंधवार नगर पालिका अध्यक्ष के रूप मेंजीते और सालभर बाद मेहमूद ने एक गुमटी रखी और गुमटी के आसपास बल्लियां गाढ़कर छपरा बना दिया। शिकायत मिली, नगर पालिका के कर्मचारी इस अवैध अतिक्रमण को हटाने गये ऐसी स्थिति में नगर पालिका अध्यक्ष से लगाकर हर कर्मचारी को डांट खाना पड़ी और आखिरकार मेहमूद का अतिक्रमण वहां कायम रहा…!
वर्तमान में पार्षद अशफाक की भतीजी के नाम से जब अतिक्रमण हुआ और नगर पालिका कार्यवाही करने गई तब सारी पोल सामने आई कि सन् 2008 से मेहमूद इस इलाके में शासकीय जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनाकर अपने बाप-दादा की संपिŸा समझकर लगातार बेचता आ रहा है और इस शासकीय जमीन को बेचने में तथा अतिक्रमण करने में मेहमूद अपने आप को कभी विधायक की नाक का बाल बताता है..! तो कभी बंशी दादा की नाक का बाल बताता है…!
हाल ही की नगर पालिका की कार्यवाही एवं नगर पालिका ने सूचना पत्र दिया या नहीं दिया यह नगर पालिका अधिकारी, मेहमूद एवं अन्य अतिक्रमणकर्ताओं के बीच का मामला है परन्तु जानकारी प्राप्त हुई कि नगर पालिका ने सूचना पत्र जरूर दिए है और उसी सूचना पत्र के आधार पर मेहमूद भी जिस तरह से पानी से मछली निकालकर रख दी जाती है और वह तड़पने लगती है उसी तरह भी मेहमूद जो सन् 2008 से इस इलाके में शासकीय जमीन को अपने बाप की बपोती समझकर अतिक्रमण कर बेच रहा है वह बिना पानी के मछली तड़पती है उसी तरह तड़पने लगा है । अब देखना यह है कि करीब 15 हजार स्क्वायर फीट बहुकीमतन शासकीय जमीन पर मेहमूद ने अतिक्रमण कर मकान बनाकर जिन लोगों को बेचे है उनको आज की स्थिति में कौन संरक्षण देगा ? अगर संरक्षण दिया तो इससे साफ जाहिर हो जाएगा कि मेहमूद किसी न किसी का नाक का बाल बनकर यह सारे अवैध काम कर रहा है…!