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रेफर पर रेफर, कोख में ही घुट गया मासूम का दम

प्रसूता की हालत गंभीर, अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप, कार्रवाई की मांग

मंदसौर । अंचल में शासकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं लगातार ठप है, प्राथमिक से लगातार जिला अस्पताल तक रेफर अस्पताल बनकर रह गए है। इलाज के अभाव में कई लोगों की जानें जा रही है ।
ऐसा ही मामला मंदसौर जिला मुख्यालय के समीप पिपलियामंडी का सामने आया है । शासकीय अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते

एक प्रसूता की जान जाते-जाते बची, वहीं बच्चे की जान चली गई। डिलेवरी के अभाव में बच्चे का कोख में ही दम घुट गया और उसकी मौत हो गई। परिजनों ने लापरवाही बरतने वाले अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गांव लूनाहेड़ा निवासी जीवनदास बैरागी ने बताया उनके परिवार की गायत्रीबाई (28) पति परमानंद बैरागी को प्रसव पीड़ा होने पर 18 मार्च को प्रातः 10.30 बजे पिपलिया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लाए, यहां तैनात नर्स ने कहा ओपीडीबंद है, पुताई का काम चल रहा है, मल्हारगढ़ जाओ, मल्हारगढ़ ले गए तो वहां तैनात नर्स ने कहा बच्चे की धड़कन नही आ रही है, आप मंदसौर जाओ। जीवन ने बताया जब मंदसौर पहुंचे तो वहां तैनात चिकित्सक प्रमिला राठौर व मीना वर्मा ने भर्ती कर इलाज करने के बजाए एबूलेंस से इंदौर रेफर कर दिया। बैरागी ने बताया एबूलेंस में भी जीवन रक्षक संबंधी कोई व्यवस्था नही थी, केवल एबूलेंस चालक को साथ भेज दिया। जावरा के निकट प्रसूता को प्रसव पीड़ा हुई और बच्चा हुआ, उसे जावरा अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत बताते हुए महिला का उपचार कर रतलाम रेफर किया। जीवनदास ने बताया चिकित्सकों को जांच में बच्चा मृत होने की जानकारी थी तो मंदसौर में ही इलाज हो सकता था, लेकिन केवल रेफर पर रेफर करते रहे और बच्चे की भी जान चली गई। अगर जावरा में महिला को उपचार नही मिलता तो उसकी भी मौत हो सकती थी। बैरागी ने दोषी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है ।

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