
जयपुर । ‘द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने राजस्थान सरकार से उस ‘‘हानिकारक अध्यादेश को वापस लेने’’ की मांग की जो लोकसेवकों, न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के खिलाफ आरोपों पर उसकी मंजूरी के बिना रिपोर्टिंग करने से मीडिया को रोकता है। गिल्ड ने रविवार रात एक बयान में कहा कि यह अध्यादेश मीडिया को परेशान करने वाला एक ‘‘खतरनाक यंत्र’’ है। इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसा दिख रहा है कि राज्य सरकार का पिछले महीने जारी अध्यादेश बजाहिर फर्जी प्राथमिकी से न्यायपालिका और नौकरशाही की रक्षा करने के लिए लाया गया है।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘लेकिन वास्तव में यह मीडिया को परेशान करने का एक घातक साधन है, जो सरकारी कर्मियों के गलत कृत्यों को छुपाता है और भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त प्रेस की स्वतंत्रता पर नाटकीय ढंग से रोक लगाता है।’’ राजस्थान सरकार ने पिछले महीने आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017 जारी किया था जिसमें राज्य के सेवानिवृत्त एवं सेवारत न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों और लोकसेवकों के खिलाफ ड्यूटी के दौरान किसी कार्रवाई को लेकर सरकार की पूर्व अनुमति के बिना जांच से उन्हें संरक्षण देने की बात की गई है।
इसमें मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है कि वह जांच को लेकर सरकार की मंजूरी मिलने तक इस प्रकार के आरोपों पर रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित नहीं कर सकती। गिल्ड ने कहा, ‘‘गिल्ड कानून की अदालतों में दायर प्राथमिकियों की निष्पक्ष, संतुलित एवं जिम्मेदार रिपोर्टिंग का पक्षधर रहा है, लेकिन उसका मानना है कि सरकार ने जो समाधान खोजा है, वह ‘‘सख्त’’ है और लोक हित के मामलों की रिपोर्टिंग के लिए पत्रकारों को जेल तक में बंद करने की ‘‘निरंकुश ताकत’’ देता है। इसमें कहा गया है, ‘‘गिल्ड मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनुरोध करता है कि वह इस हानिकारक अध्यादेश को वापस लें और प्रेस की स्वतंत्रता को संकट में डालने वाले किसी भी कानून को पारित होने से रोकें।’’