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पुलिस कप्तान….कैसे होगा मुखबिर तंत्र मजबूत

डोडाचूरी की तस्करी को रोकने के लिए पुलिस नहीं हो रही सक्रिय

मंदसौर हाल ही में क्राईम मीटिंग में पुलिस कप्तान श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि जिले के सभी थाना प्रभारी अपने-अपने क्षेत्र में मुखबिर तंत्र मजबूत करें तथा डोडाचूरी की तस्करी को रोकने का प्रयास करें ।

डोडाचूरी की तस्करी को लेकर इस जिले में बड़ी विडम्बना है क्योंकि हर थाना क्षेत्र में डोडाचूरी होती है और डोडाचूरी के तस्कर सक्रिय है । मुखबिर तंत्र के माध्यम से अगर थाना क्षेत्र में थाना प्रभारी डोडाचूरी की तस्करी रोकते है तो वह बिल्कुल कामयाब नहीं हो पा रहे, ऐसी स्थिति में इस जिले के थानों के थाना प्रभारियों ने शायद यह मन बना लिया है कि वह डोडाचूरी की तस्करी रोकने की बजाए डोडाचूरी जाने देने के नाम से बंदियां लें तो वह सुखी रहेंगे क्योंकि इन दिनों मुखबिर भी कमीशन के आधार पर काम करते है ।

आज की स्थिति में पंजाब, हरियाणा आदि क्षेत्र में डोडाचूरा का भाव 4 हजार रूपये किलो है याने कि 40 लाख रूपये क्विंटल… ऐसी स्थिति में मंदसौर, नीमच जिला एवं रतलाम जिले के कुछ हिस्से से डोडाचूरी के तस्कर जो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के है वह कम से कम एक चौथाई से कम कीमत 600, 700 और अधिक से अधिक एक हजार रूपये किलो डोडाचूरा खरीदते है । लक्झरी कारें, पिकअप, सब्जी के वाहन, प्याज, लहसन और मुर्गी दाना के नाम से डोडाचूरा ले जाते है । अब ऐसी स्थिति में अगर 20 क्विंटल भी डोडाचूरा निकलता है तो मुखबिर कम से कम एक लाख-डेढ़ लाख से कम नहीं लेगा…!

थाना प्रभारी एक, डेढ़ लाख कहां से लाएंगे और मुखबिर की कहां से देंगे। मंदसौर जिले की पुरानी परिपाटी चली आ रही है कि जैसे ही डोडाचूरा पकड़ाता है तो पुलिस डोडाचूरा किसका था ? कहां से भरा ? तस्कर की तह तक पहुंचती है उसके पहले ही कानूनी सलाहकार थाना प्रभारियों को इतनी लंबी चौड़ी शिकायत करा देते है कि थाना प्रभारी कभी नहीं सोच पाता है कि मेरी लिखा पढ़ी के पहले इतनी बड़ी शिकायत हो जाएगी ।

साथ ही पुलिस कप्तान श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी ने मंदसौर जिले में एक नई परिपाटी चालू कर दी है । यह गणित ज्ञान श्री त्रिपाठी को किसने दिया यह तो श्री त्रिपाठी जाने या त्रिपाठीजी की दिमाग की कोई उपज हो । डोडाचूरी पकड़ाते ही थानेदार लिखापढ़ी कम्पलीट नहीं कर पाता है कि तुरंत डायरी दूसरे थाना प्रभारी को दे दी जाती है । यहां श्री त्रिपाठीजी को बुरा नहीं लगना चाहिए इसमें यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि नाचे कूदे बांदरी और खीर खाए फकीर….!

एक थाना प्रभारी मेहनत करता है, मुखबिर सूचना तंत्र मजबूत करता है और डोडाचूरी पकड़ता है । डायरी चली जाती है दूसरे थना प्रभारी और दूसरा थाना प्रभारी उसमें तगड़ रसगुल्ले लपेट लेता है क्योंकि उसे मालूम है कि डोडाचूरा उस थाने ने पकड़ा है, विवेचना तो मेरे पास है । विवेचना करने में अगर माल सूतूंगा तो मेरी कोई बदनामी नहीं होगी क्योंकि सारा आरोप डोडाचूरी पकड़ने वाले थाने के थाना प्रभारी पर लगेंगे…!

इसमें हाल ही का एक तगड़ा उदाहरण सामने आया है कि शामगढ़ के प्रभारी थाना प्रभारी दिलीप राजोरिया ने हाल ही में डोडाचूरा पकड़ा, उसकी लिखापढ़ी एवं पूछताछ भी कम्पलीट नहीं हुई, दूसरे दिन क्राईम मीटिंग आ गई और क्राईम मीटिंग से ही जैसे ही शामगढ़ पहुंचा कि सीतामऊ डीएसपी का टंटा खड़ा हो गया कि डोडाचूरा की दायरी विवेचना के लिए सुवासरा के थाना प्रभारी को दे दी जाए । रात भर भागा-दौड़ी करी, डोडाचूरी के हम्माल अलग होते है, उनको एकत्रित किया, डोडाचूरी तुलवाई, कट्टों में पैक कराकर सुरक्षा की दृष्टि से उनको सुरक्षित किया । इन सारी कार्यवाही में अच्छा खासा पैसा खर्च हुआ है । अब डायरी सुवासरा के थाना प्रभारी के पास है…!
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि पूर्व में इस प्रकार की परिपाटी इस जिले में थी कि एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण होते ही विवेचना दूसरे थानेदार को दे दी जाती थी । तात्कालीन पुलिस कप्तान श्री अजय शर्मा ने इस परिपाटी को बड़ी बारिकी से देखा और जब एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण में भयंकर गिरावट आई तब उन्होंने थाना प्रभारियों की एक अलग से बैठक ली थी और उनसे कहा था कि खुलकर एनडीपीएस एक्ट के मामले में थाना प्रभारी अपने-अपने सुझाव दें । इस विशेष बैठक में यह तथ्य सामने आया था कि एनडीपीएस एक्ट के अधिकांश प्रकरण (99 प्रतिशत) मुखबिरों के माध्यम से होते है और मुखबिरों को पैसा देना पड़ता है और ऐसी स्थिति में अगर प्रकरण की विवेचना दूसरा थाना प्रभारी करता है तो उस विवेचना में कई ऐसी कमियाँ रह जाती है जिसके कारण एनडीपीएस एक्ट के कई पकड़ाये गये आरोपी बरी हो जाते है । तब फिर श्री अजय शर्मा ने सरकारी वकीलों से भी इस संबंध में राय ली और उन्होंने आदेश जारी कर दिया था कि एनडीपीएस एक्ट का प्रकरण जिस थाने में होगा विवेचना भी वही थाने के थाना प्रभारी करेंगे । विवेचना में पारदर्शिता होने की अनिवार्य शर्त का उल्लेख किया गया था ।

अनुभव के आधार पर दैनिक मंदसौर संदेश का सुझाव पुलिस कप्तान श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी के सामने है । मानना न मानना उनके विवेक के ऊपर है ।

 

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