
अफीम तो किसान उगाता है लेकिन एमडी, हेरोईन, ब्राउनशुगर और स्मैक मानव निर्मित ड्रग्स है जो युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है
Special Report
मंदसौर, 17 जून । मंदसौर जिला पुलिस अधीक्षक श्री सिध्दार्थ चौधरी ने जिले में एक सख्त नियम बना रखा है और वह नियम है कि कोई भी थाना/चौकी पार्टी बनकर काम नहीं करेगी । पुलिस अधीक्षक श्री चौधरी द्वारा बनाए गए इस नियम का सख्ती से पालन तो होता ही है और जो इस नियम का पालन नहीं करता है वह लाईन की शोभा भी बढ़ाता है ।
वैसे पुलिस अधीक्षक श्री सिध्दार्थ चौधरी द्वारा बनाए गए इस नियम का तात्पर्य यह है कि पार्टी बनकर कार्यवाही करने में अफीम उत्पादक किसान कार्यवाही का शिकार हो जाता है और तस्कर बचकर निकल जाता है । इसलिए कोई गरीब किसान एनडीपीएस की कार्यवाही का शिकार नहीं बने इसलिए जिले में इस नियम की सख्ती से पालना करवाई जा रही है ।
लेकिन जहां अफीम, किसान द्वारा उगाई जाती है वहीं दूसरी ओर एमडी, हेरोईन, ब्राउन शुगर और स्मैक व अन्य ड्रग्स तो तस्करों द्वारा जानबूझकर बनाई जाती है ताकि इनके माध्यम से तस्कर अवैध धन अर्जित कर सके और युवा पीढ़ी को इस नशे की लत लगा सके। मंदसौर जिले के भी कई युवा ड्रग्स और स्मैक की लत के आदि हो चुके है और एमडी, हेरोईन, ब्राउनशुगर, स्मैक व अन्य ड्रग्स की लत से युवाओं को मुक्त कराने के लिए ऐसे तस्करों को पकड़ना जरूरी है और यह तब ही संभव हो पाएगा जब इनको पकड़ने के लिए जाल बिछाया जाएगा ।
अफीम की होती है लायसेंसी खेती
मालवा-मेवाड़ का इलाका जो मध्यप्रदेश और राजस्थान में फैला हुआ है यह इलाका देश में अफीम खेती के लिए जाना जाता है । यहां कई हजार हेक्टेयर जमीन पर काले सोने के नाम से विख्यात अफीम की लायसेंसी खेती होती है । अफीम की पैदावार का सीजन नवम्बर से मार्च के बीच का रहता है । सरकार हर साल सीजन से पहले न्यूनतम उत्पादन का मापदंड तय करती है । यह मापदंड ही नियंत्रण प्रणाली की बुनियाद है क्योंकि यदि एक किसान निर्धारित किलो प्रति हेक्टेयर अफीम पैदा नहीं कर पाता तो उसका लायसेंस रद्द कर दिया जाता है ।
जमीन में दबाकर रखी जाती है अफीम
तस्करों की नजरें खेतों में अफीम के बीज पड़ते ही वहां जम जाती है। यूं तो अफीम की खेती सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की निगरानी में होती है, लेकिन डोडे में चीरा लगते ही तस्कर और भी ज्यादा सक्रिय हो जाते है और अफीम की सोदेबाजी शुरू हो जाती है। सूत्रों की माने तो खेतों में सिर्फ इतनी ही अफीम छोड़ी जाती है, जितनी सरकारी खजाने में जमा करनी होती है, बाकि को तस्कर मोटे दामों पर खरीद लेते है।
सूत्रों की माने तो आधा-एक किलो अफीम की जगह तस्कर 5 से 10 किलो या इससे अधिक अफीम का सौदा आसानी से करता है। सूत्र बताते है कि बड़े तस्कर अफीम की बड़ी खेप जमीन में दबाकर रखते है और छोटा-मोटा सौदा आने पर अफीम बाहर नहीं निकालते है ।
मिलावटी अफीम का खेल
अफीम की इस सौदेबाजी में शक्ल देखकर तिलक निकाला जाता है । जो जानकार होता है उसे अफीम की असल खेप दी जाती है । जो अनजान या फिर नया खिलाड़ी होता है तो उसे मिलावटी अफीम पकड़ा दी जाती है । दूध में मिलाकर पीने वाला बॉर्नविटा, बूस्ट, कॉम्पलान जैसी चीजें और नशीली दवाएं मिलाकर आधा किलो अफीम को दो से ढाई किलो तक बना दिया जाता है ।
ऐसे होती थी पार्टी बनकर कार्यवाही
कुछ अफीम काश्तकारों को अफीम की खेती में नुकसान उठाना पड़ता है तो कुछ किसानों के पट्टों में निर्धारित किलो प्रति हेक्टेयर से ज्यादा उत्पादन हो जाता है और फिर इस अफीम से लाभ कमाने की लालसा में किसान अफीम को तस्करों को बेच देते है और इसी का फायदा पूर्व में मंदसौर जिले में खाकी उठाती थी । अफीम का निर्धारित मूल्य से ज्यादा मूल्य देकर अफीम काश्तकारों को प्रलोभन दिया जाता था और इस प्रलोभन के झांसे में आकर किसान खुद अफीम लेकर आ जाता था और पार्टी बनकर गई खाकी उसको पकड़ लेती थी। ऐसी स्थिति में या तो तोड़ की कहानी होती थी या फिर एनडीपीएस एक्ट की । डोडाचूरी में भी यही मामला होता था !
लेकिन मंदसौर जिला पुलिस अधीक्षक श्री सिध्दार्थ चौधरी पार्टी बनकर कार्यवाही करने के सख्त खिलाफ है और उन्होंने जिले के सभी थानों को निर्देशित भी कर रखा है कि कोई भी पार्टी बनकर कार्य नहीं करेगा ।
मानव निर्मित है हेरोईन, ब्राउन शुगर और स्मैक
हेरोईन, ब्राउन शुगर और स्मैक मानव निर्मित ड्रग्स है। इसके एक बार सेवन से व्यक्ति इसके चंगुल में ऐसा फंसता है कि उसका निकलना नामुमकिन हो जाता है। हेरोईन, ब्राउन शुगर और स्मैक को अफीम और केमिकल के मिश्रण से तैयार किया जाता है ।
एमडीएमए ड्रग्स
मंदसौर जिले में पुलिस मादक पदार्थों की तस्करी पर लगातार नकेल कस रही है लेकिन पुलिस की चिंता एमडी ड्रग्स ने बढ़ा दी है । दरअसल यह मादक पदार्थ बहुत ही खतरनाक है और एक-दो बार इस्तेमाल करने पर यह युवा पीढ़ी को अपने जद में ले लेता है जिसके बाद इसे एक बार इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति इसे फिर नहीं छोड़ पाता है ।
648 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स पकड़ी थी उनि नितीन कुमावत ने
मंदसौर जिले में एमडीएमए ड्रग्स की पहली कार्रवाई अगस्त 2020 में हुई थी । यह कार्यवाही भावगढ़ थाना के पूर्व थाना प्रभारी उनि नितीन कुमावत ने की थी । उन्होंने 65 लाख की 648 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स के साथ चार लोगों को गिरफ्तार भी किया था। एमडीएमए ड्रग्स की कार्यवाही यूं ही नहीं हो गई थी, इसके लिए करीब एक माह तक एमडीएमए ड्रग्स के तार खोजे गए थे, बारिकी से इस पर अध्ययन किया गया था, एमडीएमए ड्रग्स की तस्करी में कौन-कौन जुड़ा हुआ था और कब और कहां से खेप निकलेगी इसकी जानकारी उनि नितीन कुमावत ने एकत्रित कर रखी थी और उनि नितीन कुमावत द्वारा बारिकी से किये गये अध्ययन का ही फल मिला कि 65 लाख की 648 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स को पकड़ने में उनि नितीन कुमावत को सफलता मिल गई ।
अगस्त 2020 के बाद अब जून 2021 में नारकोटिक्स विंग मंदसौर ने 200 ग्राम एमडी ड्रग्स पकड़ी है । इस बीच नारकोटिक्स विंग मंदसौर के प्रभारी उनि राजमल दायमा ने भी प्रतिबंधित ड्रग्स (अल्प्राजोलम) की 6400 टेबलेट पकड़ी थी, साथ ही इसी मामले में मंदसौर जिला मुख्यालय पर ही संचालित होने वाले एक मेडिकल को सील भी किया गया था । वहीं इंदौर में पकड़ाई गई 70 करोड़ की एमडी ड्रग्स के तार भी मंदसौर जिले से ही जुड़े थे ।
जाल बिछाकर ही पकड़ा जा सकता है नशे के सौदागरों को
एक ओर जहां इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अफीम और डोडाचूरा का उत्पादन अफीम काश्तकार करता है ऐसे में पार्टी बनकर जाना और किसान को अफीम और डोडाचूरा का ज्यादा भाव का लालच देना गलत है तो वहीं दूसरी ओर इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि एमडी, हेरोईन, ब्राउन शुगर, स्मैक व अन्य प्रकार की ड्रग्स, मानव निर्मित ड्रग्स है जो समाज के लिए घातक है और इन ड्रग्स की तस्करी मंदसौर जिले में बढ़ती जा रही है और नशे के सौदागरों को पकड़ने के लिए पुलिस को जाल बिछाकर ही कार्यवाही करना पड़ेगी, अन्यथा बिना लालच और प्रलोभन दिए यह नशे के सौदागर पुलिस के हाथ नहीं आने वाले है ।