
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायविद् और विधिवेत्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को नाजायज ठहराए जाने के फैसले को ऐतिहासिक व सराहनीय कदम निरुपित किया है। प्राय: कानून के सभी जानकारों की राय इस फैसले के पक्ष में सामने आई।\
मुस्लिम महिलाओं को मिला बड़ा न्याय
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मुस्लिम महिलाओं के हक में निश्चित रूप से ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मुस्लिम समाज की आधी आबादी लंबे अर्से से इस तरह के दमदार कदम की प्रतीक्षा में थीं। इस फैसले से जाहिरतौर पर भारत की मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में बड़ा और आमूलचूल परिवर्तन आएगा। उन्हें दमनकारी चक्रव्यूह से निजात मिलेगी। इस क्रांतिकारी फैसले की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता को भी बल मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह महादेश भारत की हिन्दू महिलाओं के हित सुरक्षित हैं, वैसे ही अब भारत की मुस्लिम महिलाओं के हक में भी बड़ा फैसला सुनाकर देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल जीत लिया है। इस फैसले से भारत की हर मुस्लिम स्त्री और प्रोगे्रसिव मुस्लिम पुरुषों को अपार खुशी मिली होगी, ऐसा मेरा अडिग विश्वास है। ऐसा इसलिए क्योंकि तीन तलाक जैसे कुप्रथा को लेकर मुस्लिम सजा समाज में लंबे अर्से से अंतर्विरोध चला आ रहा था। धार्मिक कट्टरता के साए में जीने वाले गिने-चुने मुस्लिम पुरुषों को छोड़कर एक बड़ा वर्ग तीन तलाक से निजात चाह रहा था।
– जस्टिस केके लाहोटी, पूर्व एक्टिंग सीजे मप्र हाईकोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक गलत प्रथा के खिलाफ बिल्कुल सही फैसला लिया है। निसंदेह एक मुस्लिम स्त्री सिर्फ किसी की पत्नी नहीं बल्कि किसी की मां, बहन और बेटी भी होती है। इसीलिए एकतरफा तरीके से तीन तलाक की वजह से परिवारों में बेहद दुख-दर्द की स्थिति बनती थी। फांसी की सजा सुनाने से पहले भारत की हर अदालत आरोपी की सफाई सुनती है, उसे भरपूर अवसर मुहैया कराती है। इसके विपरीत मुस्लिम समाज में तीन तलाक के नाम पर लंबे अर्से से मनमानी चली आ रही थी। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट के साहसिक फैसले की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
– जस्टिस आरके गुप्ता, पूर्व न्यायमूर्ति हाईकोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सराहनीय है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि दिशा-निर्देश का समुचित पालन सुनिश्चित किया जाए। ठोस कानून सामने आने पर मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी। तीन तलाक की वजह से सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से दुर्दशा की शिकार महिलाएं इस फैसले की अहमियत बेहतर समझ सकती हैं।
– जस्टिस एनके मोदी, पूर्व न्यायमूर्ति हाईकोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक सुधारात्मक कदम उठाया है। तीन तलाक को लेकर सुनाया गया फैसला भारत की न्यायपालिका के महत्व को और भी मजबूत अर्थ में रेखांकित करने वाला साबित हुआ है। इसके दूरगामी परिणाम बेहतर होंगे।
-पुरुषेन्द्र कौरव, महाधिवक्ता मध्यप्रदेश
मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत के योग्य है। इस फैसले के साथ ही कानून अस्तित्व में आ जाएगा, जो तीन तलाक जैसी समस्या से मुस्लिम महिलाओं को सदा के लिए मुक्ति दिला देगा।
-सीनियर एडवोकेट विवेककृष्ण तन्खा, राज्यसभा सांसद