
चारों तरफ शासकीय नंबर और बीच में कैसे आया निजी नंबर ?
मंदसौर । मंदसौर में राजस्व रिकॉर्ड का तो भगवान ही मालिक है । इस राजस्व रिकॉर्ड में नक्शों से लगाकर सर्वे नंबर एवं सर्वे नंबर से लगाकर नामांतरणों आदि में कितनी हेराफेरी हो जाती है इसका भगवान ही मालिक है । हर पटवारी एक नया नक्शा और मनगढ़ंत नक्शा बनाकर पार्टियों को पकड़ा देते है । कैसा शासकीय नंबर..! कैसा निजी नंबर…! कैसी नपती…! यह सब खेल मंदसौर ही नहीं मंदसौर जिलें में बरसों से चल रहा है । जनता शिकायत कर-करके थक जाती है, सुनवाई नहीं होती है क्योंकि कलेक्टर एसडीएम को लिखता है ! और एसडीएम तहसीलदार को लिखता है ! और तहसीलदार पटवारी को लिखता है और पटवारी की रिपोर्ट नीचे से ऊपर तक मान्य होती है ऐसी स्थिति में पटवारियों के खेल भी बड़े निराले है…!
मंदसौर जिले में पटवारियों से ऐसे-ऐसे खेल कर डाले है कि जिसकी कोई सीमा नहीं । पट्टे की जमीनों को निजी बता दिया..! लीज की शासकीय भूमियों को निजी भूमियों में चढ़ा दिया…! हर आने वाला कलेक्टर दांतो तले ऊंगली दबा गया..!
इसी कड़ी में तात्कालीन कलेक्टर श्री मनोज श्रीवास्तव ने मंदसौर के राजस्व रिकॉर्ड को समझा था एवं उन्होंने कई शासकीय पट्टों की भूमियों एवं लीज की भूमियां, जीनिंग फैक्ट्री की भूमियां, आईल मील की भूमियां इन सबको शासकीय घोषित कर दिया था परन्तु आज तक राजस्व रिकॉर्ड में कई फाईलें गायब है, राजस्व रिकॉर्ड के कईप्रमाणित रिकॉर्ड गायब है…!
अब इसी कड़ी में जब हम राजस्व रिकॉर्ड में पहुंचे तो रेवास देवड़ा रोड़ पर स्थित सर्वे नंबर 1933, 1934, 1935, और उसके बाद सर्वे नंबर 1936 और सर्वे नंबर 1937 के बीच 26 फीट का एक शासकीय रास्ता है और उसके बाद सर्वे नंबर 1938 भी शासकीय है । पुराने रिकॉर्ड में सर्वे नंबर 1936 भी पूर्ण रूप से शासकीय है परन्तु आज यह निजी कैसे हो गया इसका भगवान ही मालिक है…! कुछ कद्दावर भू-माफिया जो राजस्व अधिकारियों को खरीदने का दावा करते है वह आज धड़ल्ले से 1936 और 1937 के बीच के शासकीय रास्ते पर भी कब्जा कर सर्वे नंबर 1936 पर कॉलोनी काट रहे है । अब इसमें इन्होंने किससे मंजूरियां ली, क्या ली इसका भगवान ही मालिक है परन्तु यह शासकीय नंबर निजी कैसे हो गया और इस पर कॉलोनी किसके आदेश से कट रही है यह सब जिला प्रशासन के लिए जांच का विषय है ।
जिला प्रशासन को सत्यता से अवगत कराना मंदसौर संदेश का काम है और कार्यवाही नहीं करना और लिफाफे लेकर शासकीय भूमियों की हेराफेरी करना यह सब राजस्व अधिकारियों का काम है..!