You are here
Home > देश > चार गैर-भाजपा शासित राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में कोर्ट पहुंचे

चार गैर-भाजपा शासित राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में कोर्ट पहुंचे

नई दिल्ली । कर्नाटक और पश्चिम बंगाल समेत चार गैर-भाजपा शासित राज्यों ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित करने के सवाल पर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई में हस्तक्षेप करने की अनुमति आज शीर्ष अदालत से मांगी। कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के अलावा कांग्रेस के नेतृत्व वाले पंजाब और पुडुचेरी ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के विपरीत रूख अपनाया है। केंद्र सरकार का कहना है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं बल्कि एक आम कानूनी अधिकार है।

इन चार राज्यों का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीयस संविधान पीठ के समक्ष अपनी बात रखी। सिब्बल ने कहा कि तकनीकी प्रगति को देखते हुए आज के दौर में निजता के अधिकार और इसकी रूपरेखा पर नए सिरे से गौर करने की जरूरत है। पीठ के समक्ष उन्होंने कहा, ‘‘निजता एक परम अधिकार नहीं हो सकता। लेकिन यह एक मूलभूत अधिकार है। इस न्यायालय को इसमें संतुलन लाना होगा।’’ मामले में सुनवाई जारी है।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, न्यायमूर्ति रोहिन्टन फली नरिमन, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। निजता के अधिकार से संबंधित यह मामला पांच सदस्यीय पीठ द्वारा वृहद पीठ को स्थानांतरित कर दिए जाने पर शीर्ष न्यायालय ने 18 जुलाई को नौ सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि बायोमीट्रिक जानकारी का संग्रहण और उसे साझा करना, जो कि आधार योजना के तहत जरूरी है, निजता के ‘मूलभूत’ अधिकार का हनन है। केंद्र ने 19 जुलाई को शीर्ष न्यायालय में कहा था कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकारों की श्रेणी में नहीं आ सकता क्योंकि वृहद पीठों के बाध्यकारी फैसलों के अनुसार, यह एक आम कानूनी अधिकार है।

 

Sharing is caring!

Similar Articles

Leave a Reply

Top