
अब भी हम क्या अपने जवानों को श्रद्धांजलि देकर शांति पाठ कर चुप बैठ जायेंगे ? क्या प्रतिपक्ष ऐसे ही आलोचना करता रहेगा ? क्या हम इस मामले में किसी ट्रम्प के मशविरे की राह देखेंगे ? क्या इसके बाद भी मसूद अजहर को अभय दान दिलवाते चीन की चिरौरी करते रहेंगे ? इसके अलावा एक विकल्प बचता है युद्ध, कल जो हुआ वो युद्ध ही था और है और इसका जवाब शांति पाठ नही युद्ध ही है । कोई हमे कायर कहे उससे पहले करारा जवाब दीजिये मोदी जी । वरना आपकी गिनती तो 1999 के उस पायदान से भी नीचे चली जाएगी जब हमने मसूद अजहर को कंधार ले जाकर छोड़ा था । ये शांति पाठ कब तक, इस बार आर-पार का फैसला कीजिये ।
सारा देश यह जान और मान गया है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा में सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमला जैश-ए-मोहम्मद ने किया है, उसने मान भी लिया है । जैश ए मोहम्मद को पैसा कौन देता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय फलक पर कौन मदद कर रहा है किसी से छिपा नहीं है । चिंता का विषय इस कायराना फिदायीन हमले के तुरंत बाद जैश के समर्थन चैनलों पर ऐसे संदेशों की बाढ़ है, जिनमें इस टेरर अटैक की जिम्मेदारी लेने की बात कही गई है। इन संदेशों में ’हिंदू भारतीय सैनिकों’ पर हमला सफल होने की बात कही गई। खैबर पख्तूनख्वा से जारी किए गए एक संदेश में कहा गया कि भारतीय जिहाद कांग्रेस की यह 5वीं कार्रवाई थी। मेसेज में आतंकी हमले की जगह को पांपेर हाईवे कहा गया है। यह सब क्या हमे पहले पता नहीं था ? तीन दिन पूर्व भी अलर्ट आया था ।
जैश ने अपने संदेशों में हमले में 100 भारतीय हिंदू सैनिकों की हत्या का दावा किया है। मेसेज में कहा गया कि भीषण हमले में एक दर्जन से ज्यादा वाहन तबाह हुए हैं और 100 से अधिक हिंदू सैनिकों की मौत हुई है। यही नहीं विस्फोटकों से लदी जीप के लीडर को इस संदेश में गाजी कहा गया है। इन संदेशों के जरिए इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि विस्फोटकों से लदे वाहन को चलाने वाला आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था। इन संदेशों के कुछ समय बाद ही पुलवामा के स्थानीय युवक आदिल अहमद डार ने एक विडियो रिलीज कर इस हमले को जैश की ओर से खुद अंजाम देने का दावा किया।
यह संदेश कितने सच्चे और कितने झूठे है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क जवानों की शहादत और उसके बाद सेना के गिरते मनोबल से पड़ता है द्य दो दिन श्रद्धांजलि और शांति पाठ का समय समाप्त हो गया है । इस युद्ध को पहचानिए सेना को कूच का आदेश दीजिये ।
देश संकट में है । केवल नरेंद्र मोदी की आलोचना से सीमा सुरक्षित नहीं होती । प्रतिपक्ष को पाकिस्तानी और चीनी दूतावासों में गलबहियां छोड़ देश के बारे में सोचना चाहिए । सारे अंतर्राष्टीय संबंधों को जागृत कर वो नीति बनाना चहिये, जिससे कोई मसूद अज्हर और कोई हाफिज सईद भारत की तरफ देख भी न सके ।
बहुत हो गया, किसी की मां का लाल काल के गाल में समा गया तो किसी की मांग का सिन्दूर उजड़ गया, कोई रो कर याद करते हैं अपने पिता को, कलाई सुनी छोड़ चल बसे देश के लिये । बड़ा ही दर्दनाक मंजर व्याप्त है । समूचे देश में आक्रोश है, व्यथा है, विवशता है, ग़मगीन है । कि आखिर कब तक ? निर्णायक दौर में पहुंच गया है यह आतंकी तांडव, अब जरूरत है एकजुटता की, रणनीति बना कर करना होगा मुकाबला, हमारे आसपास पल रहे संदिग्ध देशद्रोहियों को चिन्हित करना होगा, देश प्रेम की भावना जताना ही नहीं बताना भी होगी , लचर – पचर इंटेलिजेंस और सुरक्षा को फुलप्रूफ बनानी होगी , समझौता और उदारता त्यागने की जरूरत देश हित में अनिवार्य जान पड़ती है । बेशक तत्कालिक रूप से बड़ी प्रतिक्रियात्मक कार्यवाही नहीं हो पर चौकन्ने रह कर दृढ़ और मारक अंजाम अवश्य ही देने की आवश्यकता सारा देश चाहता है ।
देश के अंदरूनी हालातों और चिन्हित संदिग्ध तत्वों पर नजर रख मुकम्मिल उपचार भी करना होंगे । चुनाव से नहीं जोड़ते हुए समग्र देश हित में भूमिका निभानी होगी । आखिर तय करना होगा कि देश के अभिन्न हिस्से जम्मू – कश्मीर में अमन बहाली के लिये निश्चित दिशा क्या होगी ? विश्वास क़ायम करना होगा सारे देश में, नीति अनुसार चलना होगा एकता और अखंडता के लिये, छोटे और क्षुद्र स्वार्थो को त्याग कर ही यह होसकता है ।
आतंकवाद से विश्व के कई देश त्रस्त हैं, आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक-वैश्विक-रणनीतिक सहित विभिन्न मोर्चों पर मुकाबला करते हुए आतंकवादी तत्वों को मिटाना होगा ।
संवेदनशील मामले में सावधानी बरतने की जरुरत भी है ताकि अंदरूनी समरसता नहीं बिगड़ जाये वरना यह आतंकवाद की सफलता बन जायेगी, बहुत सतर्कता से कदम बढ़ा कर देशद्रोह और आतंकवाद की क़मर तोड़ कर विश्वास क़ायम करना होगा । जब देश का हिस्सा है यह इलाका तो फिर क़ायम करना ही होगा राष्ट्र – राज्य की व्यवस्था । पिछली गलतियों को दुरुस्त कर समग्रता के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र एक अवधारणा पर आगे बढ़ना होगा । और यह सब कोई बाहर से आकर नहीं करेगा, आपको – हमको , देशवासियों और देश के कर्णधारों को ही मिलकर करना होगा ।
लेखकः डॉ .घनश्याम बटवाल (वरिष्ठ पत्रकार) मंदसौर