
प्रतापगढ । ए.डी.आर. सेन्टर के कॉन्फ्रेंस हॉल में आज जिला एंव सत्र न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक अधिकारीगण, जिला स्तरीय अधिकारीगण एंव पुलिस अधिकारीगण, अभिभाषकगण व जन प्रतिनिधियों की एक सामुहिक बैठक आयोजित की गई तथा इस कार्यशाला में बाल विवाह रोकने हेतु जन साधारण में वातावरण बनाने तथा इस हेतु विभिन्न स्तर पर प्रयास करने तथा यदि इसमें कोई व्यवधान आता है तो उसके लिये कानूनी प्रावधानों के तहत कार्यवाही करने पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर बैठक का संचालन लोक अभियोजक तरूणदास वैरागी द्वारा किया गया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बैठक को अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए बताया कि बाल विवाह समाज में कुरीति है। 18 वर्ष से कम की बालिका एंव 21 वर्ष से कम आयु के बालक के विवाह का कानून में निषेध है। यह निषेध इस कारण है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उक्त आयु से कम के बालक व बालिका के विवाह अनुचित है व कम उम्र में बालिका मानसिक व शारीरिक रूप से विवाह के उपयुक्त नहीं होती है तथा इसी प्रकार बालक भी 21 वर्ष की आयु के पूर्व परिपक्व नहीं होता है। उन्होने इस सम्बन्ध में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, के प्रावधानों पर विस्तृत प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में इन्होंने की शिरकत एवं रखे अपने विचार
जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह, प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव विक्रम सांखला, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुन्दरलाल बंशीवाल, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतापगढ़ हेमराज मीणा, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरनोद मु. प्रतापगढ़ श्रीमती कुमकुमसिंह, न्यायिक मजिस्ट्रेट कुलदीप राव, पुलिस विभाग – डीप्टी शैतानसिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. बैरवा, संदीप शर्मा कॉर्डिनेटर पीसीपीएनडीटी, समाज कल्याण अधिकारी जे.पी. चांवरिया, जिला बार एसोसियेशन अध्यक्ष शांतिलाल आंजना, एडवोकेट कुलदीप शर्मा, घनश्यामदास वैरागी, भूपेन्द्र ग्वाला, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य एडवोकेट मुकेश चारण एवं ललिता गांधी तथा न्यायिक कर्मचारीगण।