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कल्याण नगरी में भव्य उत्सव के रूप में मनाया ठाकुर श्री कल्लाजी का जन्मोत्सव

मंदसौर संदेश/निम्बाहेड़ा

यूं तो होली, दीपावली, जन्माष्टमी सहित कई पर्व कल्याण नगरी में पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते है। लेकिन पिछले द्वादश वर्षा से वेदपीठ की स्थापना के साथ यहां कल्याण अष्टमी के रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी का भव्य जन्मोत्सव भी पूरे नगरवासियों के लिए विशेष उत्सव का दिन बन चुका है। इसी कड़ी में श्रावण शुक्ला अष्टमी सोमवार को वेदपीठ पर विराजीत ठाकुर श्री का मोर पंखी की खिचवाई के साथ जरदोजी श्रृंगार इतना मन भावक था कि भक्तगण अपने आराध्य के अनुपम स्वरूप के अपलक दर्शन करते नजर आए।

जन्मोत्सव के उपलक्ष में वेदपीठ को रजनीगंधा, मोगरा, गुलाब, आशापाल, केवड़ा, जरबरा, गेंदा, कमल, नाग चंपा सहित सतरंगी फूलों से सजाने के साथ ही ठाकुर जी का 61 प्रकार के पुष्पों से पुष्पाभिषेक करने के फलस्वरूप समूचा वेदपीठ परिसर फूलों की महक से घमक उठा। इससे पूर्व मंगलादर्शन के साथ ही ठाकुर जी का लघू रूद्राभिषेक किया गया। अभिषेक के पश्चात ठाकुर जी का श्रृंगार करते समय 101 किलो फूलों की माला पहनाकर भक्तों ने अपने आराध्य के प्रति विशेष श्रृद्धा प्रकट की।

नजरानों के लगे ढेर

ठाकुर जी के जन्मोत्सव पर देश व प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कल्याण भक्तों ने नानावीद नजराने भेंट कर ठाकुर जी को जन्मोत्सव की कोटिश बधाईयां अर्पित की। वहीं नजरानों के रूप में मोर मुकूट, रजत मुकूट कई प्रकार के जडित कंठ हार, उपरने, वेश भूषा, धर्म ग्रंथ सहित कई प्रकार के पदार्थ एवं आकर्षक उपहार न्यौछावर किए।

अनैक प्रकार के मिष्ठान हुए भेंट

कल्याण जन्मोत्सव के उपलक्ष में भक्तों द्वारा पारम्परिक मिष्ठान के रूप में लापसी, हलवा  के साथ ही माखन मिश्री, मेवा मिष्ठान, कई प्रकार के लड्डू, पंचामृत, पेड़े, बर्फी, पंच मेवा, मौसमी फल सहित कई प्रकार की मिठाईयां भेंट कर भक्तों ने ठाकुर जी का पूरे उत्साह के साथ जन्मदिन मनाया।

200 विद्यालयों में मनाया जन्मोत्सव

कल्याण नगरी सहित आस पास के गांवो के लगभग 200 विद्यालयों में ठाकुर श्री कल्लाजी का जन्मोत्सव प्रार्थना सभा में पूरे उत्साह व श्रृद्धा के साथ मनाया गया। इस दौरान वेदपीठ से जुड़े वीर, वीरांगनाओं, शक्ति ग्रुप की बालिकाओं तथा कृष्णा शक्ति दल की माता बहिनों द्वारा विद्यालयों में पहुंचकर विद्यार्थियों को ठाकुर जी के जन्मोत्सव की बधाई देते हुए जीवन्त परिचय देकर मीठा मुंह कराया। वहीं नगर के प्रमुख चौराहों पर भी वीर वीरांगनाओं द्वारा नगरवासियों एवं आगंतुकों को मंगल तिलक लगा, ईलायची भेंट कर जय श्री कल्याण के अभिवादन के साथ ठाकुर जी के जन्मदिन की बधाईयां दी गई।

51 शिवालयों में हुआ रूद्राभिषेक
ठाकुर श्री कल्लाजी के जन्मदिन के उपलक्ष में वेदपीठ की और से बटुकों द्वारा कल्याण नगरी में विभिन्न स्थानों पर छोटे बड़े शिवालयों में पहुंचकर रूद्री पाठ के साथ भगवान शिव का रूद्राभिषेक कर सर्वत्र सुख, समृद्धि एवं मंगल की कामना की।

यज्ञशाला का हुआ भूमि पूजन

वेदपीठ की और से स्थापित किए जा रहे श्री कल्लाजी वैदिक विश्व विद्यालय परिसर के ब्रम्ह स्थान पर ठाकुर जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में सोमवार को वेदपीठ की न्यासियों द्वारा 51 गुणा 51 फीट आकार में बनने वाली यज्ञशाला का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन किया गया। इस मौके पर कल्याण गौशाला में गायों को लापसी एवं हरा चारा खिलाने के साथ ही विमंदितों को भोजन एवं वस्त्र, कबूतरों को दाना व चिंटियों को कूलर दिया गया।  जन्मोत्सव के उपलक्ष में वेदपीठ के आचार्या एवं बटुकों द्वारा श्री कल्लाजी के बीज मंत्र के सवा लाख जाप अनुष्ठान के साथ ही यज्ञ किया गया।

विभिन्न गांवो से आए पद यात्री

श्री कल्लाजी के जन्मोत्सव के अवसर पर बिनोता, भगवानपुरा, मण्डला चारण, नयांगाव सहित कई गांवो से सैंकड़ो पद यात्री ढोल नंगाड़ो, केसरियां ध्वज, डीजे साउण्ड के साथ जयकारे लगाते हुए कल्याण नगरी में पहुंचे, जिनका वेदपीठ की और से स्वागत किया वहीं पद यात्रियों ने भी पूरी श्रृद्धा और उत्साह के साथ अपने आराध्य के दर्शन कर जन्मोत्सव की बधाईयां देते हुए सर्वत्र खुशहाली की कामना की।

भक्तों की लगी कतारें

ठाकुर जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में दूर दराज से आए हजारों कल्याण भक्तों के कारण मंदिर परिसर में भी भक्तों की कतारें लगी रही, जिनमें से कई भक्त अपने आराध्य के मन भावन दर्शन, अनुठी झांकी को देखकर चकित थे। वहीं बाल विग्रह के रूप में हिण्डोलें में विराजीत ठाकुर जी को झूला झूलाकर स्वयं को धन्य किया।

भजनों की गूंजी स्वर लहरियां

श्री शेषावतार कल्लाजी के जन्मदिन के उपलक्ष में समूचा वेदपीठ परिसर भजनों की स्वर लहरियों से गूंज उठा। इस मौके पर सांवलियां सत्संग परिवार गिलूण्ड के लोक भजन गायकों द्वारा ठाकुर जी सहित शिव, गणेश, श्री राम, कृष्ण, हनुमान सहित अन्य देवों के मन भावन भजनों की प्रस्तुतियां देकर भक्तों को भक्ति सरिता में गोते लगाने को विवश कर दिया।

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