
बहरोड/अलवर । हिंदू समाज में शादी में दूल्हा बैंडबाजे के साथ ब्याह रचाने दुल्हन के घर जाता है। यह रिवाज आम है। लेकिन बहरोड कस्बे में शर्मा परिवार में बेटी की शादी मिसाल बन गई है। भृतहरि रोड़ पर कैलाश शर्मा ने अपनी बेटी जिया की शादी बेटे की तरह से की।
शर्मा ने बताया कि मैंने बेटा समझकर ही बेटी को पाला और वैसे ही शादी की है। जिसमें दहेज नहीं दिया। बेटी को बेटे जैसा सम्मान देकर शादी संपन्न हुई। जिसमें दुल्हन की धूमधाम से निकासी निकाली गई।दुल्हन अपने घर से बग्घी में बैंड बाजों के साथ बारात लेकर दूल्हे के पास पहुंची। दुल्हन ने दुल्हे वाली रस्में निभाईं।
दुल्हन जिया शर्मा ने बताया कि उसकी मामी सरला शर्मा ने बेटा बेटी का फर्क मिटाते हुए अनोखी पहल करने को कहा तो परिजन मान गए। होडल हरियाणा निवासी दुल्हे लोकेश शर्मा व उसके परिजनों ने भी इसे समाज मे बदलाव लाने वाला कदम बताते हुए स्वीकार किया।
सरला शर्मा दुल्हन की मामी शिक्षाविद् बहरोड़ ने बताया कि बेटा बेटी में फर्क मिटाने के लिए देश के पीएम प्रयास कर रहे है तो हम भी शिक्षित परिवार से हैं। हम उनके सपने को पूरा करने के लिए यह दूल्हे वाली रस्में और शगुन दुल्हन से करवा कर समाज को एक नया सन्देश देने का प्रयास कर रहे हैं।