
नूतन आचार्यों का श्री नित्यसेन सूरीश्वरजी व श्री जयरत्न सूरीश्वरजी नामकरण
रतलाम । गुरूदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की पट्ट परम्परा के षष्टम आचार्य लोकसन्त गच्छाधिपति श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के देवलोकगमन पश्चात उत्तराधिकारी के रूप में उनकी भावनानुसार अ.भा.सौ.वृ.त त्रिस्तुतिक जैन श्वे. श्रीसंघ ने श्री महावीर जैन श्वे. पेढ़ी भाण्डवपुर तीर्थ द्वारा आयोजित आचार्य पदवी प्रदान कार्यक्रम में बुधवार को लोकसन्तश्री के वरिष्ठ शिष्य मुनि श्री नित्यानन्द विजयजी व संयमवय स्थविर मुनिराज श्री शांतिविजयजी म.सा. के शिष्य मुनि श्री जयरत्नविजयजी को आचार्य पदवी प्रदान कर नूतन आचार्य का क्रमशः श्री नित्यसेन सूरीश्वरजी व श्री जयरत्नसूरीश्वरजी नामकरण कर लोकसन्त श्री की प्रतिमा के समक्ष मुनिमण्डल, साध्वीवृन्द व श्रीसंघ की उपस्थिति में आचार्य पदग्रहण करवाया गया। नूतन आचार्यों को लोकसंतश्री के सप्तम पट्टधर के रूप में नामकरण की घोषणा का लाभ मिलापचंद जेठमल चौधरी गढ़सिवाणा ने लिया।
इस अवसर पर अ.भा. त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वाघजी भाई वोरा, राष्ट्रीय परामर्शदाता, राज्य योजना आयोग म.प्र के उपाध्यक्ष, विधायक चेतन्य काश्यप, संघ के वरिष्ठ मिलापचन्द चौधरी, सोमतमल डोसी, मूलचंदजी सूखराजजी बालगोता, जेठमल बालगोता, डाडमचंद जैन मिलियन ग्रुप, शांतिलाल रामाणी 72 जिनालय तीर्थ निर्माता, रमेश लूक्कड़, बाबुलाल कटारिया, जे.के. संघवी सहित अनेक श्रीसंघों के प्रतिनिधि प्रमुख रूप उपस्थित थ्ो। दोनों नूतन आचार्यों द्वारा पदवी प्राप्त करने के बाद यहां उपस्थित मुनिमण्डल, साध्वीवृन्द ने उनके सिर पर वासक्ष्ोप प्रदान कर शुभ भावना व्यक्त की। नूतन आचार्यद्वय ने अपने प्रवचन में कहा कि वे संघ, समाज और गुरूगच्छ के हित में सदैव तत्पर रहकर लोकसन्तश्री की गरिमा बढ़े ऐसे काम करेंगे। तीर्थ में 29 श्रमण-श्रमणियों की बड़ी दीक्षा विधि भी नूतन आचार्यों की निश्रा में सम्पन्न हुई।
श्री वोरा व श्री काश्यप ने आचार्य पदवी की अनुमोदना करते हुए नूतन आचार्यों को शुभकामना देते कहा कि संघ व समाजहित में आप दोनों के द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य में संघ का सहयोग सदा आपके साथ रहेगा। श्रीसंघ के वरिष्ठों ने कहा कि लोकसन्तश्री ने अपनी अद्वितीय अद्भुत नेतृत्व क्षमता के माध्यम से देशभर के श्रीसंघों में संघ, समाज व गुरूगच्छ हित में अनेक कार्य करते हुए कई कीर्तिमान कायम किए हैं। आप दोनों भी उसी प्रकार श्रीसंघों को नेतृत्व प्रदान कर जिनशासन की शोभा व गुरूगच्छ की गौरव-गरिमा बढ़ाने में सहभागी बने।
देशभर में 108 गुरूमंदिरों का निर्माण होगा
कार्यक्रम में शिष्य परिवार द्वारा लोकसन्त श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की स्मृति में देशभर में 108 गुरूमंदिरों के निर्माण का संकल्प लिया गया। इसमें सर्वप्रथम भाण्डवपुर तीर्थ में भव्य स्मारक का निर्माण तथा 72 जिनालय भीनमाल, 68 जिनालय, दादा गुरू जन्मभूमि भरतपुर, गुरू जन्मभूमि पेपराल, जयन्तसेन म्यूझियम श्री मोहनख्ोड़ा तीर्थ सहित अन्य स्थानों पर गुरूमंदिरों का निर्माण होगा। 11 स्थानों पर गुरूमंदिर निर्माण का लाभ सुमेरमल हजारीमल लुक्कड़ परिवार भीनमाल ने लिया है। लोकसन्तश्री की पुण्य स्मृति में श्री भाण्डवपुर तीर्थ में अष्ठ दिवसीय पुण्योत्सव व दोनों आचार्यों का पद अनुमोदना महोत्सव 11 से 18 मई तक आयोजित किया जा रहा है।