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बालाजी को चोला चढ़ाने के लिए वर्ष 2036 तक करना होगा इंतजार

मंदसौर। तलाई वाले बालाजी की प्रतिमा अन्य बालाजी की प्रतिमाओें से काफी भिन्न है। इनके अदभूत दर्शन से ही भक्त का आत्मकल्याण एवं सांसारिक भावनाओं की पूर्ति भी होती है। इसी कारण यहां प्रतिदिन भक्तों का मेला लगा रहता है। आचार्य रामानुजजी के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में निर्मित हो रहे इस भव्य मंदिर का निर्माण भी निरंतर प्रगति पर है। प्रतिमा के तेज एवं भक्तों को आध्यात्म शक्ति मिले, इस हेतु यहां प्रतिदिन होने वाली पूजा तो महत्वपूर्ण है ही, परंतु आचार्य श्री रामानुजजी के मार्गदर्शन में हनुमान जयंती के पूर्व संध्या पर जो महारूद्र अभिषेक किया जाता है। वह इस प्रतिमा के तेज को और बढा रहा है।

आचार्य रामानुजजी ने हनुमान जयंती के पूर्व संध्या किए जाने वाले अभिषेक एवं हनुमान जयंती के अवसर पर होने वाले हवन पूजन को अति महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष निश्चित समय पर हनुमान जयंती के पूर्व संध्या पर यहां पर प्रतिवर्ष लगातार महारूद्र अभिषेक एवं अन्य पूजन होने से हनुमान भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाएं बालाजी महाराज दूर करते हैं। उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उनके दर्शन का लाभ मात्र से ही उनका आत्म कल्याण होता है ।

आचार्य श्री रामानुजजी का मानना है कि नियमित विधि विधान से हनुमंत पूजन करने से जीवन में आने वाली बाधाएं का दोष निवारण होता है। ग्रहों की शांती होती है। देव दोष निवारण होने से मनुष्य का जीवन शांतिमय हो जाता है एवं उनके जीवन के उददेश्य को आसानी से पूरा कर सकते हैं। हनुमंत अभिषेक से मन की शक्ति का विस्तार होता है।

तलाई वाले बालाजी मंदसौर का अतिप्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। इसके निर्माण से ही आचार्य रामानुजजी का मार्गदर्शन एवं प्रबंध समिति को आशीर्वाद मिलता रहा है। इसी कारण इस मंदिर का आज भव्य निर्माण संभव हो पाया है। अतिप्राचीन तलाई वाले बालाजी मंदिर की पूजा अर्चना एवं विधि विधान उल्लेखनीय है। यहां पर बालाजी को चोला चढाने के लिए भी भक्तों की लंबी कतार रहती है। बरसों से चोले चढाने के क्रम यहां पर चलता है। तलाई वाले बालाजी के भक्त मंदसौर नगर में ही नहीं, विदेशों में भी रहते है। वह नियमित दर्शन करने और मनोकामना मांगने के लिए साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, केन्या आदि देशों से आते हैं।

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