
नई दिल्ली। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि अगर सीमा पर तनाव कम नहीं हुआ तो भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ नेपाल की ओर से भी सैन्य तनाव का सामना करना पड़ सकता है। बुधवार को अखबार में प्रकाशित हुए एक लेख में यह दावा किया गया है। यह लेख शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के शोधार्थी हू झियांग के हवाले से लिखा गया है।
इसके अनुसार, भारत एक ही समय पर चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद में उलझ गया है। चीन के लिए पाकिस्तान भरोसेमंद कूटनीतिक साथी है और नेपाल के भी चीन से करीबी संबंध हैं और दोनों ही देश चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के अहम भागीदार हैं। अगर ऐसे में भारत सीमा पर तनाव को और बढ़ाता है तो उसे दो या फिर तीनों देशों की ओर से सैन्य दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जो कि भारत की सैन्य क्षमताओं से बहुत ज्यादा है और यह भारत के लिए बड़ी हार बन सकता है।
झियांग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन सीमा की स्थिति को बदलने के लिए कतई तैयार नहीं है और हाल ही में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के चीन के हिस्से में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के लिए पूरी तरह भारतीय पक्ष जिम्मेदार हैं। पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी क्षेत्र में हुई इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। घटना में चीन के करीब 43 जवानों के हताहत होने की खबर आई थी। हालांकि, चीन ने इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है।
लेख में आगे कहा गया, भारत को हर हालत में यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। भारत को वर्तमान परिस्थितियों के बारे में गलत कयास नहीं लगाने चाहिए और चीन को कमतर नहीं आंकना चाहिए। चीन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में समर्थ है और भारत को यह समझना चाहिए। चीनी मीडिया के मुताबिक चीन ने भारत से 15 जून की रात हुई इस घटना की विस्तृत जांच करवाने की मांग की है और कहा है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
वहीं, इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग की एक सैन्य अकादमी में तैनात एक सैन्य विशेषज्ञ ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा है कि चीन इस हिंसक झड़प में अपना नुकसान इसलिए साझा नहीं कर रहा है क्योंकि वह नहीं चाहता कि दोनों देशों के लोग इस बात से और ज्यादा प्रभावित हों। उन्होंने कहा कि नुकसान की तुलना करने से दोनों ओर राष्ट्रवादी भावनाएं आहत हो सकती हैं और ऐसी घटनाएं दोनों पक्षों के बीच बने तनाव को कम करने में नकारात्मक भूमिका निभा सकती हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर कह चुके हैं कि भारत इस सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिए हल करना चाहता है। बुधवार को जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बात की थी और स्पष्ट शब्दों में कहा था कि यह हिंसक झड़प चीन के सैनिकों की एकतरफा और सुनियोजित कार्रवाई थी। हालांकि, दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि इस विवाद तो जिम्मेदार तरीके से वार्ता के जरिए सुलझाना चाहिए और दोनों पक्षों को छह जून को सैन्य कमांडरों की बैठक में बनी सहमति और समझौते को लागू करना चाहिए।