
मंदसौर संदेश/मंदसौर
मप्र में किसान आंदोलन को लेकर मंदसौर जिला अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में छाया हुआ है । अब ऐसी स्थिति में एक महीने बाद राज्य सरकार की ओर से यह कहा जा रहा है कि मंदसौर जिले में किसानों के उग्र आंदोलन के पीछे तस्करों का हाथ है । जैसे ही यह सवाल खड़ा हुआ और मंदसौर जिले की पुलिस ने इसके लिए 32 तस्करों को चिन्हित किया । 32 तस्करों के चिन्हित होते ही मंदसौर जिले में वैसे तो हा-हाकार मची हुई है क्योंकि 32 तस्करों में से 16 पाटीदार है और 16 अन्य है, यह तीसरा तर्क मध्यप्रदेश सरकार एवं गृह विभाग सबके गले की हड्डी बन गया है और इस तर्क को कांग्रेस को भुनाने में लग गई है ।
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता के.के.मिश्रा ने आरोप लगाया है कि किसान आंदोलन को लेकर पुलिस का खुफिया विभाग एक माह में तीन-तीन तर्क दे रहा है । पहले तो किसान आंदोलन में असामाजिक तत्वों के शामिल होने का आरोप था…! दूसरे तर्क में किसान आंदोलन को उग्र बनाने में कांग्रेस के महत्वपूर्ण योगदान का आरोप था…! अब तीसरे तर्क में सरकार कह रही है कि किसान आंदोलन को उग्र करने में तस्करों का हाथ था…! कांग्रेस के प्रवक्ता मिश्रा ने इन आरोपों पर तीखी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि यदि किसान आंदोलन को संचालित करने वाले किसान न होकर वह तस्कर थे तो आत्महत्या करने वाले किसान भी क्या तस्कर है..?
के.के.मिश्रा की इस तीखी प्रतिक्रिया में उन्होंने आरोप लगाया कि मंदसौर जिले में अफीम तस्करी से जुड़े अंडरवर्ल्ड सरगना मोहम्मद शफी से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री सुंदरलाल पटवा के अच्छे संबंध रहे है । प्रवक्ता मिश्रा ने राज्य सरकार के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उनके सरकार की खुफिया रिपोर्ट सही है तो प्रदेश में राज्य सरकार के खिलाफ किसानों के आक्रोश और किसान आंदोलन की जानकारी से खुफिया विभाग अनभिज्ञ क्यों रहा ? क्या मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के पास इसका जवाब है ?