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मप्र के 36 रोजगार कार्यालय होंगे बंद

इंदौर। लंबे समय से युवाओं को नौकरी दिलाने में असफल साबित हो रहे रोजगार कार्यालयों का भविष्य तय हो चुका है। 51 जिला रोजगार कार्यालयों में से 15 को पीपीपी मॉडल पर प्लेसमेंट सेंटर के रूप में चलाया जाएगा, जबकि 36 बंद किए जाएंगे। पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत निजी कंपनी चुनी जाएगी जो अन्य जिलों का काम भी संभालेगी और एक-एक कर बाकी जिलों के कार्यालय बंद कर दिए जाएंगे।

यह आदेश 7 मार्च को प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान ने दिया था, जिस पर अब अमल करने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश में लाखों युवा ऐसे हैं, जिन्हें पंजीकरण के बाद भी नौकरी नहीं मिली। इधर रोजगार कार्यालयों की हालत भी खराब होती जा रही है। कहीं स्टाफ की कमी है तो कहीं साधन-सुविधाओं के अभाव में काम नहीं हो रहा।

कंपनी को सालाना टारगेट

जिस कंपनी को यह काम सौंपा जाएगा, उसे न सिर्फ नौकरी और ट्रेनिंग का काम दिया जाएगा, बल्कि हर साल प्रदेश के एक लाख युवाओं को नौकरी दिलाने का टारगेट दिया जाएगा। हालांकि अधिकारी स्तर पर इस आंकड़े की पुष्टि नहीं की जा रही। प्रदेश के सभी सेंटरों की निगरानी भोपाल मुख्यालय से होगी। 15 जिलों में काम शुरू करने के बाद यहीं से प्रदेश भर के युवाओं के पंजीकरण से लेकर प्रशिक्षण देने और रोजगार मेला लगाने का काम होगा।

ये 15 जिले बनेंगे सेंटर

वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के मुताबिक इंदौर, उज्जैन, भोपाल, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर, सागर,

होशंगाबाद, शहडोल, देवास, धार, खरगोन, सिंगरौली, सतना, कटनी जिलों के रोजगार कार्यालयों को प्लेसमेंट सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां पंजीयन कराने वालों की काउंसलिंग, इंटरव्यू, ट्रेनिंग होगी और प्लेसमेंट भी कराया जाएगा। आधुनिक सुविधाओं के रूप में यहां कम्प्यूटर, लैपटॉप, एलसीडी स्क्रीन के साथ युवाओं को ऑफलाइन, ऑनलाइन मार्गदर्शन भी दिया जाएगा, ताकि उन्हें करियर में मदद मिल सके।

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