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बेटे की चाह में ली जाने वाली दवाओं से बच्चों में हो रही विकृति

नई दिल्ली । राज्यसभा में आज सदस्यों ने, बेटे की चाह में दंपतियों द्वारा दवाओं का सेवन किए जाने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इन दवाओं की वजह से बच्चों के जननांगों में विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए भाजपा के विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि बेटों की चाहत में दंपती नीम हकीमों के पास से दवाइयां लेते हैं जिसके फलस्वरूप जन्म लेने वाले बच्चों के जननांगों में विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं।

‘‘अस्पष्ट जननांगों’’ वाले बच्चों को अक्सर उनके अभिभावक या तो छोड़ देते हैं या फिर उन्हें किन्नर समुदाय को सौंप दिया जाता है। भाजपा सदस्य ने कहा कि हाल ही में देश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया लेकिन सामाजिक सोच में अभी भी लड़कों का स्थान लड़कियों से आगे है। उन्होंने कहा कि बेटों की चाह में दंपती ऐसी दवाओं के पीछे भागते हैं जिनके बारे में उन्हें लगता है कि इससे उन्हें बेटा ही होगा। अपनी चाहत के चलते वह भस्म, तरह तरह के पाउडर, जड़ी बूटी आदि का सेवन करते हैं जिसका नतीजा गर्भपात, शिशु में जन्मजात विकृति या अस्पष्ट जननांग वाले शिशु के रूप में मिलता है। कई बार तो मां की मौत भी हो जाती है।
सहस्रबुद्धे ने कहा कि अनाधिकारिक अनुमान के अनुसार, जननांगों में विकृति वाले जन्मे 100 शिशुओं में से 97 शिशुओं में इनका कारण बेटों की चाहत में ली जाने वाली दवाएं होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘अस्पष्ट जननांगों’’ वाले बच्चों को अक्सर उनके अभिभावक या तो छोड़ देते हैं या फिर उन्हें किन्नर समुदाय को सौंप दिया जाता है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। उप सभापति पीजे कुरियन ने सरकार से कहा कि यह गंभीर मुद्दा है और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार इस पर ध्यान देगी।

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