
इस प्राचीन मंदिर को देखकर खुशी होती है। प्रदेश के जीर्ण-शीर्ण मंदिर हम पीडब्लूडी को सौंपते हैं। बदले में हमें टाइल्स लगे मंदिर मिलते हैं। यहां की बुकलेट में धर्मस्व विभाग का उल्लेख नहीं है, हमारा विभाग तुच्छ सा है, नाम दिखे तो ऊर्जा मिलती है।
यह बात खेल एवं धर्मस्व विभाग मंत्री यशोधराराजे सिंधिया ने सुभाष चौक स्थित दुर्गा मंदिर के लोकार्पण के मौके पर कही। समारोह में जो ब्रोशर बांटे गए थे, उसमें उनके विभाग का ही नाम नहीं था। इसे लेकर उन्होंने यह टिप्पणी की। हालांकि वे मंदिर का जीर्णोद्धार का काम देखकर खुश हुईं और आईडीए व अफसरों की प्रशंसा भी की।
उन्होंने कहा आजकल लोग आधुनिकता को ज्यादा अपनाते हैं, लेकिन यह शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीक तक ही सीमित रहना चाहिए। संस्कार तो पुराने ही होना चाहिए। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन बड़ी मेहनत से इस मंदिर को पुराने स्वरूप में लाई हैं, अब उसे बरकरार रखना स्थानीय रहवासियों की जिम्मेदारी है। यह मंदिर काफी प्राचीन है और होलकर राजपरिवार के समय इसका निर्माण हुआ था।
अब बांके बिहारी और गोपाल मंदिर की बारी
संभागायुक्त संजय दुबे ने कहा कि इस मंदिर से 50 टन लोड कम किया गया। मजबूती के लिए लोहे का निर्माण किया गया, लेकिन वह दिखाई नहीं देता। अब गोपाल मंदिर और बांके बिहारी मंदिर का भी जीणोद्धार होगा। विधायक उषा ठाकुर ने श्लोक सुनाए। आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी ने महाजन और सिंधिया को मंदिर का अवलोकन कराया और पुरानी स्थिति के चित्र भी दिखाए। मंदिर का जीर्णोद्धार करने वाली टीम में शामिल आईडीए के चीफ इंजीनियर एसएस राठौर, कार्यपालन यंत्री अनिल जोशी, सब इंजीनियर कपिल देव भल्ला, पराग व्यास, आर्किटेक्ट श्रुति पुरोहित और संजय मारु, विनोद शर्मा का सम्मान भी किया गया।
पाइप भी इतिहास का हिस्सा
शिलालेख के समीप बीड़ का एक पुराना पाइप देख मंत्री ने उसके बारे में पूछा तो संभागायुक्त ने बताया कि होलकरकाल में आग बुझाने के लिए यशवंत सागर से लाइन शहर में बिछाई गई थी। तय दूरी पर पाइप के जरिए आउटलेट दिए गए थे। यह भी इतिहास का हिस्सा है, इसलिए उसे नहीं हटाया गया।