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टाण्डा गांव में 15 मार्च को लट्ठमार होली का आयोजन

ब्रज की संस्कृति देखने को मिलेगी

प्रतापगढ़ । टाण्डा गांव में 15 मार्च, बुधवार को लठ्मार होली का आयोजन सायं 5 बजे से किया जाएगा । लठ्मार होली का आयोजन धमोŸार के निकटवर्ती टाण्डा गांव मे लबाना समाज में खेला जाएगा। यह आयोजन सदियों से चलता आ रहा है। लठ्मार होली टाण्डा गांव के नायक गौतम लबाना के खेत पर लठ्मार होली खेली जाएगी। इस होली मे महिलाओं द्वारा पुरूषों पर लठ् बरसाऐ जाएगे। पुरूष सहजता के साथ लठ् की मार को सहन करते हुए बचाव करेगे। लठ्मार होली से पहले गांव के बीच में शाम ढलने से पुर्व विधी विधान पूर्वक पूजा, अर्चना के साथ पुरूष व महिलाओं द्वारा ललेनो नृत्य नगांरो के थपथपाहाट से शुरू किया जाएगे। उसके बाद में गौतम नायक के खेत पर ललेनो नृत्य के साथ लठ्मार होली खेली जाएगी। नेजा लूटने के दौरान पुरूषों को घेर-घेर कर लाठियां बरसाई जाएगी। जबकी पुरूष अपनी लाठियां के दम पर महिलाआें को लाठियों से बचने का जतन करते रहेगें। यह होली लबाना बाहुल्य गांवों में लठ्मार होली के मदे्नजर आस-पास के कई गांवों के समाजजन यहां भागदीरी करने पहुंचेगे।
महिलाओं को सम्मान देने का पर्व
गांव के बुर्जगां के अनुसार पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं के समानता का दर्जा बना रहे इसके लिए बुर्जगों ने इस प्रकार के कार्यक्रम रखे थे। पुराने समय में पुरूष-प्रधान समाज में जहां महिलाओं की हर जगह उपेक्षा की जाती थी। इससे महिलाओं में पुरूष समाज के प्रति उत्पत्रा कुंठा के भाव को दूर करने के लिए लट्ठमार होली का आयोजन होगा। इसके माध्यम से महिलाआें की सालभर की कुंठाएं को होली के पावन पर्व में खत्म करने के उदे्श्य को लेकर भाभी, काकी, अन्य महिलाआएं अपने देवर, नजदीकी रिश्तेदारी, अन्य जनों को भी मारेगी, महिलाएं भी अपने प्रतिशोध होली के माध्यम से मन मे भेदभाव को मिटाएगी।  इस दिन पुरूष खुशी-खुशी महिलाआें से मार खाकर उनकी सालभर की भरी कुंठाआें और गिले शिकवों को दुर करेगी।  इस खेल को खेलने से पहले पूर्व भगवान शिव व पार्वती के सुखमय जीवन के गीतों का गायन करेगे।
मंगलवार को रात्री में सभी पुरूषो द्वारा खेत मे गेहुं से भरी हुई बोरी करिब 80 किलोग्राम वजन की बांदी गई। उसके उपर नगारा बान्दा गया। लठ्मार होली को लेकर ग्रामीणां ने सभी तैयारिया पूर्ण कर ली है।
टाण्डा गांव के माधु लबाना पुत्र गौतम लबाना नायक ने जानकारी देते हुए बताया कि यह आयोजन कई सदियों से चलता आ रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य भगवान शिवं शंकर के वरदान के कारण यह आयोजन लबाना समाज में खेला जाता है। चोर द्वारा बेल ले जाना व नायक की मृत्यु कर देने पर जब पार्वती व शिव शंकर भगवान विचरण कर रहे थे उस समय नायक की पत्नी रो रही थी उस समय पार्वती व शिव शंकर भगवान को नायक की पत्नी रोने पर दया आने पर उन्होंने कहा कि इसको दण्डी मारकर भगाने को लेकर नायक की पत्नी को शिव शंकर ने वरदान दिया था और उसका पति को जिवित कर देने को लेकर लठ्मार होली का आयोजन किया जा रहा है। चोर को भगाने को लेकर इस आयोजन को किया जा रहा है। इस पर्व को स्थानिय भाषा मे नेजा लुटना कहा जाता है। जो कि यहा ब्रज की संस्कृति देखने को मिलती है। यह पर्व केवल लबाना समाज मे ही कई सदियो से चलता आ रहा है।
यहां पर प्रतापगढ़ शहर सहित आस पास के ग्रामीण मानपुरा, ढलमु, सिद्धपुरा, करमदीखेड़ा, अखेपुर, धमोŸार, बोरी, बारावरदा, ब्यारा, नकोर, ग्यासपुर, कड़ियावद, अमलावद, थड़ा, भुवासिया व गादोला आदि गांवों के लोग लठ्मार होली को देखने टाण्डा गांव में आएंगे ।

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