
नई दिल्ली । सरकार के अक्टूबर 2017 से शुरू होने वाले खरीद मौसम में गन्ना कीमत में 11 प्रतिशत वृद्धि किए जाने के निर्णय का प्रभाव चीनी मिलों के मार्जिन पर पड़ेगा। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा कि सरकार के खरीद वर्ष 2017-18 के लिए गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 255 रुपये प्रति क्विंटल तय किए जाने का असर चीनी उत्पादन की लागत पर पड़ेगा और यह 2,500 से 2,700 रुपये प्रति टन होगा।
पिछले साल एफआरपी 230 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में राज्य का सलाहकारी मूल्य सामान्य एफआरपी से भी ज्यादा है। एफआरपी केंद्र सरकार तय करती है जो किसान को गन्ना की न्यूनतम गारंटीशुदा कीमत उपलब्ध कराता है। राज्य अपने हिसाब से इससे ज्यादा गन्ना की कीमत तय कर सकते हैं जिसे राज्य सलाहकारी मूल्य कहा जाता है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख सब्यासाची मजूमदार ने एक बयान में कहा कि वर्तमान चीनी प्राप्तियों के चलते मिलें ऊंची लागत का वहन कर सकती हैं लेकिन इससे उनके मार्जिन भी मौजूदा स्तर से नीचे गिर जाएगा।