
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और जीव विज्ञान के शिक्षकों द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले जर्नल में शहर में हुआ शोध शामिल कर लिया गया है। विज्ञान के प्रयोग में उपयोग में लाए जाने वाले जिस उपकरण को लेकर अभी तक विद्यार्थी संस्थान और बाजार पर ही निर्भर थे उस उपकरण को अब न केवल वे खुद बना सकते हैं, बल्कि कहीं पर भी प्रयोग करके देख सकते हैं। सिंगल लीफ पोटोमीटर नाम का यह उपकरण शहर के प्राध्यापक डॉ. किशोर पंवार ने तैयार किया है। इसे इन्होंने अनुपयोगी मानी जाने वाली वस्तुओं से तैयार किया है।
यूएसए के नेशनल एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजी टीचर्स के जर्नल में विज्ञान के ऐसे प्रयोगों को शामिल किया जाता है, जिससे विद्यार्थी कुछ सीख सकें। इसके लिए होलकर विज्ञान महाविद्यालय के प्राध्यापक व बीज तकनीकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. किशोर पंवार ने अपने प्रयोग की जानकारी भेजी थी। जानकारी के आधार पर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग की प्रमाणिकता को जांचा जिसके आधार पर इसे जर्नल में शामिल किया गया। यह जर्नल इसी माह जारी होगा।
इस काम आता है यह उपकरण
सिंगल लीफ पोटोमीटर का उपयोग वनस्पतियों की पत्तियों के वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया को मापने के लिए किया जाता है। पत्ती कितनी देर में कितना पानी वाष्प बनाकर उड़ा देती है, उसे मापने के लिए इसका उपयोग होता है।
अभाव से जन्मी निर्माण की कोशिश
डॉ. पंवार बताते हैं कि अक्सर वे यह देखते थे कि इस प्रयोग के लिए उपकरणों का अभाव रहता था। चूंकि ये उपकरण कांच के बनते हैं। प्रयोग के दौरान अक्सर ये टूट जाते हैं। ऐसे में अधिकांश संस्थान इन उपकरणों का गाहे-बगाहे प्रयोग कराती है और अधिकांशत: थ्योरी के जरिए ही सारी जानकारी दे दी जाती है। इस प्रयोग के लिए गेनॉन पोटोमीटर सबसे बेहतर माना जाता है, लेकिन यह इतना नाजुक होता है कि कई बार तो सेट करते-करते ही यह टूट जाता है।
चूंकि एक उपकरण की कीमत 2 सौ से 3 सौ रुपए होती है और सीमित बजट के कारण ज्यादा उपकरण नहीं लिए जा सकते। इसलिए मजबूरी में कई बार बिना प्रयोग के ही संस्थान अपना काम चलाते हैं। इस अभाव के कारण ही यह कोशिश रही कि कुछ ऐसा उपकरण बनाया जाए जो सहजता से प्रयोग में लाया जा सके।
पानी की बोतल और बेकार रबर ट्यूब का प्रयोग
सिंगल लीफ पोटोमीटर बनाने के लिए पानी की खाली बोतल और अस्पतालों में प्रयोग में लाई जाने वाली स्लाइन ट्यूब का उपयोग किया गया है। यह खाली बोतल भी वे हैं जिन्हें ‘यूज एंड थ्रो” की श्रेणी में रखकर हम फेंक देते हैं। वाष्पीकरण को मापने के लिए ग्राफ पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण के टूटने का डर भी नहीं होता और निर्माण के लिए कोई खर्च भी नहीं करना होता।
इस तरह होता है उपयोग
प्लास्टिक की बोतल लें और उसके ढक्कन में दो छेद कर दोनों में 5-5 सेंटीमीटर की रबर ट्यूब लगा दें। इस बोतल को पूरा पानी से भरें। एक ट्यूब पर ग्राफ पेपर लगाएं और दूसरी ट्यूब में ऐसी पत्ती लगाएं जिसकी डंडी ट्यूब में डूबी हुई हो। दिन भर में आप पाएंगे कि ग्राफ पेपर लगी नली का पानी उतरता हुआ दिखेगा, जिससे यह मापा जा सकता है कि कौन सी पत्ती दिन में कितना पानी वाष्पित करती है। पत्ती की डंडी की मोटाई के अनुसार ट्यूब का चयन किया जा सकता है, लेकिन ट्यूब की लंबाई समान ही रहती है।