
नई दिल्ली । नागर विमानन मंत्रालय ने आज कहा कि एयर इंडिया को आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक बनाने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इंडियन एयरलाइंस के विलय पर घड़ी को पीछे नहीं ले जाया सकता। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिन पहले एयर इंडिया के विनिवेश की वकालत की थी। अब नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा है कि एयरलाइन के लिए कोई विकल्प बंद नहीं किया गया है।
राजू ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘नीति आयोग ने एयर इंडिया को मजबूत और व्यावहारिक बनाने के लिए सिफारिशें की हैं। सभी विकल्पों की समीक्षा की जा रही है। हमने कोई विकल्प बंद नहीं किया है।’’ राजू ने कहा कि सरकार को एयर इंडिया पर गर्व है। उन्होंने कहा कि एयरलाइन में पूर्व में हुई अनियतिताओं से संबंधित मामलों में मंत्रालय सीबीआई से सहयोग करेगा। तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने 2012 में एयर इंडिया के लिए 30,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी, जो कि दस साल के दौरान दिया जाएगा। इसी पैकेज के बूते एयर इंडिया परिचालन में बनी हुई है। फिलहाल एयरलाइन अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही है। विमान ईंधन कीमतों में कमी तथा यात्रियों की संख्या बढ़ने के चलते एयर इंडिया ने 2015-16 में 105 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया था।
नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि एयर इंडिया के लिए जो कुछ भी किया जाएगा वह राष्ट्रीय हित में होगा। सिन्हा ने कहा, ‘‘हम एयर इंडिया के लिए सभी संभावित विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। हम एयरलाइन के लिए एक जीतने वाली रणनीति लाना चाहते हैं।’’ एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के 2007 में हुए विलय पर राजू ने कहा कि घड़ी को पीछे नहीं ले जाया जा सकता। एयर इंडिया की समस्याओं के लिए इस विलय को भी एक वजह माना जा रहा है।